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आगमसार
जुओ में केवो कपट केळव्यो. मारा जूठापणानी खबर कोइने पडी नहीं, एवो मृषावाद रूप परिणाम ते मृषानुबंधी रौद्रध्यान. ३ चोरी फरी अथवा ठगाइ करी मनमा खुशी थाय के मारा जेवो जोरावर कोण छे, हं पारको माल खाऊ छु एवो परिणाम ते चौरानुबंधि रौद्रध्यान. ४ परिग्रह धन धान्य परिवार घणो वधवानी लालच होय ते धन अथवा कुटुंबने माटे गमे तेवु पाप करे अथवा घणो परिग्रह मिल्याथी अहंकार करे ते परिग्रहरक्षणानुबंधी रौद्रध्यान. ए रौद्रध्यानना चार भेद कह्या. ए ध्यान नरक गति पमाडवार्नु कारण छे. महा अशुभकर्मनुं कारण छे. ए पात्रमा गुणठाणा सुधी छे अने छठे गुणठाणे
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