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निश्वयनये तो कर्मनो कर्त्ता कर्म छे. आत्मा अनादिनो परभाव भोगी थयो छे तेथी परभावग्राहक अने परभावरक्षक थयो एटले आत्मानी ज्ञायकता, ग्राहकता, भोग्यता, रक्षकता बीगडे कर्त्ता पणो बीगड्यो तेवारें परभाव कर्त्ता थयो तेथी परभाव रंगीपणें आठ कमनो कर्त्ता थयो छे पण सत्तायें तो स्वभावनो कर्त्ता छे पण उपकरण अवराणा तेथी स्वकार्य करी शकतो नथी. विभावने करे छे, अज्ञानपणे जीवनो उपयोग मल्यो छे. पोताना ज्ञानादिक गुणनो कर्त्ता भोक्ता छे एहवो स्वरूपा - नुयायी परिणाम ते निश्चयभोगोपभोगवत त्याग जाणवो.
८ अनर्थदण्डविरमणन्नत कहे छे. काम
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आगमसार.
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