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आगमसार. अस्थि अणंताजीवा, जेहिं न पत्तो तसाइपरिणामो ॥ उवजतियचयंति य, पुणोवि तत्थेव तत्थेव ॥ १ ॥ अर्थ-निगोदमां अनंता जीव एहवा छे, जे जीव सपणो पहेला किवारें पाम्या नथी अनंतो काल पूर्व गयो अने अनंतो काल जाशे पण ते जीव वारंवार तिहांज उपजे छे अने तिहांज चवे छे एम एक नि. गोदमां अनंता जीव छे ते निगोदना वे भेद छे. एक व्यवहार राशी निगोद अने बीजो अव्यवहारराशी निगोद. तेमां जे बादर एकेन्द्रियपणो भावे त्रसपणो पामीने पाछा निगोदमां जाइ पड्या छे ते निगोदिया जीवने
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