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आगमसार.
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केटलाक गुण प्रगट्या नथी पण अवश्य प्रगहवी वस्तुने वस्तु कहे ते वस्तुना नामांतर एक करी जाणे. जेम जीव चेतन तथा आत्मा रहनो एक अर्थ कहे ते समभिरू नय कहियें, ए नय एक अंश ओछी वस्तु पूरे पूरी वस्तु कहे, जेम तेरमा गुणठाणे केवळी होय तेहने सिद्ध कहे. ए नयना भेद बिलकुल नथी ए समभिरू नय को. एवंभूतनय कहे छे जे वस्तु पोताने गुणे संपूर्ण छे अने पोतानी किया करे छे तेने ते वस्तु कही बोलावे. जेम मोक्षस्थानके ने जीव होतो सिद्ध कहे. जेम पाणीथी
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* एकार्थवाची नामोनां नामभेदे भिन्न भिन्न अर्थ करे छे ते समभिरू नय कहे छे.
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