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आगमसार. कोइ कहेस्ये जे फूलने पोइ (परोक्वा ) नहीं तेहने कहीये जे हीरप्रश्नमध्ये पाठ छे. तथा वनगंधोवमेहेंचेतिः श्लोकव्याख्यायते श्राद्ध दिनकृत्ये प्रोतपु पजाक्षराणिवतते तथा आद्यपक्षेतु जिनवल्लभसूरि कृत पूजाकुलकेपि प्रोत पुष्पाक्षराणि संति तथा हरिभद्रसरि कृत पूजा पंचासके जहरेहईतकीरइ ", ए गाथाना आसयथी पिण प्रोया फुलनी हा जणाय छे. तथा उमास्वातिवाचक कृत पूजा पटलमांपिग एमज जणाय छे. ते स्थापना इतर अने यावत्कथिक ए बे भेदें छे ... ३ द्रव्य निक्षेपो कहे छे, जेनो नाम पण होय तथा आकार थापना गुण पण होय अने लक्षण होय पण आत्मोपयोग न मिले ते
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