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( २१ )
है ? || ४ || चौथे परिचय में उसका मूल बहुत बढ़ा, जिसके सेवन से सबका बल बढ़ता है ||५|| सब मनुष्यों को जिसके साथ काम पड़ता है, सुधनहर्ष पंडित पूछते हैं कि उसका क्या नाम है ? बतलाईये ||६||
हरियालो
( राग आसावरी )
बोलावी एक बोल न बोले, कोइक कामिनी काली रे । मोटी थइ पण लाज न आणे, नवि ते पहेरे फाली रे ॥ १ ॥ बो० ॥ अग्नि न चोले नीर न बोले, नवि ते वाये हाले रे । का करे ते निज मातानं, मातने पासे चाले रे || २ ||बो० ॥ अन्न न खावे नीर न पीवे, भूत न ग्रहवे तास रे । पंडित अरथ विचारी जुम्रो, तुम्ह पासे तस वास रे || ३ || बो० ॥ नविते राती नवि ते माती, नवि कहे ते मांडी रे । साधु तो पण पासे रहेवे, न सके को तस छांडी रे ॥४॥बो० ॥ ऐ तो कुण थकी नवि बीए, विषम ठामे पण पैसे रे । ते छोकरडी माने खोले, बेसारी नवि बेसे रे ||५|| बो० ॥
हाथ पग़ माथु तल दीसे, चांपी दुःख न पावे रे | मां बेटी ने नेह नही पण, माने पासे थावे रे || ६ || बो० ॥ काम न जागे शस्त्र न वागे, भार न लागे कोयरे । सुधनहर्ष कहे रथ कइजो, एहतणो जे होय रे ||७|| बो० ॥ हिंदी शब्दार्थ :
एक स्त्री पगली है बुलाने पर भी नहीं बोलती । बड़ी हो गई फिर भी शर्म नहीं आती, वह घाघरा भी नहीं पहनती || १ | | उसे न
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