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श्रीवृहद् धारणायंत्र।
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मूलर्भ पूर्वजाषाढा उत्तराभाद्रभंचान्त्यं रेवत्यश्विनी श्रवणं उत्तराफाल्गुनीभानि
श्रवणं शततारक पुष्यमश्विनी कृतिका आद्य चित्राविशाखिका झे यानिजन्मभानिये
जिनराश्यादियंत्रः
नाम
वृषभ
मृगशर
सर्प
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चित्रा
is w
मूळ ঘু মা
। भृषमदेव
अजितनाथ संभवनाथ
अभिनंदन ५ सुमतिनाथ ६ पद्मप्रभु | सुपार्श्वनाथ चंद्रप्रभ सुविधिनाथ शीतळनाथ श्रेयांसनाथ वासुपूज्य विमरनाथ अनंतनाथ धर्मनाथ शांतिनाथ कुंथुनाथ
परनाथ १६ मल्लिनाथ
मुनिसुव्रत नमिनाथ
नेमनाथ २३ पार्श्वनाथ २४ महावीरस्वामी
लांछन नक्षत्र योनिवर्ग गण नाडी
उ.प्रा. नकुल मनुष्य अंत्य हस्ति रोहिणी सर्प | भ मनुष्य अंत्य : अश्व
मध्य । वानर पुनर्वसू बिडाल
| प्राय क्रौंच मघा उदर
राक्षस अंत्य पद्म
व्याघ्र
राक्षस मध्य : स्वस्तिक विशाखा व्याघ्र
राक्षस अंत्य चंद्र अनुराधा हरिण
मध्य मकर
श्वान
राक्षस प्राध वत्स
वानर
मनुष्य मध्य खडगी (गेंडो) | श्रवण वानर महिष
शत
अश्व बराह
उभा श्येन (सिंचागो) रेवती हस्ति
| अंत्य अज
मध्य हरिण अश्विनी
आद्य अज कृतिका प्रज
राक्षस अंत्य नंद्यावर्त रेवती
अंत्य कलश अश्विनी अश्व
प्राद्य कच्छप অন্য : वानर
देव ! अंत्य कमल
अश्विनी अश्व
प्राद्य शख चित्रा व्याघ्र
राक्षस मध्य सर्प বিহাণ্ডা व्यान
राक्षस अंत्य उ.फा ।
मनुष्य माद्य
। देव अंत्य
राक्षस आद्य मनुष्य मध्य
। वज्र
पुष्य
अश्व
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