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________________ खूबी ए छे साते नायको कया मासमां कइ तिथिए जन्म पाम्या, ते पण एक बीजा चरित्रनी साथे विरोध क्गर बताव्युं छे, ने ए रीते जन्म वर्णन नामे बीजो सर्ग २५ मूक्तमा पूर्ण करेल छे. त्रीजा सर्गमा सुरेन्द्रोए करेल जिनेश्वरोनो जन्मोत्सव ने अन्य बे नायकोनो अन्यकृत जन्मोत्सव, सर्वेनुं नामकरण, बाल्यक्रोडा,यौवनप्राप्ति, स्वयंवरनी परिस्थिति, विवाह, कुटुम्बपरिवार, आदि विशद वर्णव्या छे. आ सर्गमा ४८ भक्तो छे. अनुप्रास अने यमक मूक्त मात्रमा छे. आनुं नाम 'कौमारवर्णन' छे. 'पूज्य राज्य वर्णन' नामे चतुर्थ सर्ग ४२ श्लोक प्रमाण छे. तेमां राज्यनीतिथी थतो प्रजाने संतोष-आनन्द, कृष्णचरित्रान्तर्गत पांडवो अने कौरवोने थयेल राज्यखटपटो-युद्धो वगेरेनुं वर्णन, तीर्थङ्करोने लोकान्तिकदेवोए तीर्थप्रवर्तावचा करेल प्रेरणा, वार्षिकदान, पञ्चमुष्टिलोच-दीक्षा आदि वर्णन छे. पांचमा मर्गमां-श्रीजिनेश्वरोना विहाग्नुं वर्णन, कर्मक्षय माटे करेल विविध तपश्चरण, उपसर्गसहन, आदि, रामपक्षमा वनवास, त्यां पडता कष्टो, सीता विरह, कृष्णपक्षमा विविध युद्ध वगेरेनु शान्त वीर करुण रसमिश्रित वर्णन ले. श्रीभगवद्विहारवर्णन नामनो आ मर्ग ५८ श्लोक प्रमाण छे. छहा सर्गमां-६३ श्लोको छे. तेमां जिनेश्वरी-समिनिगुप्तिनुं आसेवन करतां अपतिबद्धपणे विचरतां काम वगेरे अभ्यन्तर शत्रुगणनो विनाश करी केवळज्ञान प्राप्त करे छे, ते तथा अन्य पक्षमा बाह्य शत्रुओना विजय बगेरेनुं वर्णन छे. तेन नाम 'भगवकेवलज्ञानसाम्राज्यवर्णन' एवं छे. सातमा अने आठमा-सर्गन नाम अनुक्रमे 'भगवत्केवलज्ञानसाम्राज्यविहारवर्णन' अने दिग्विजयवर्णन छे. तेमा ४२ ने २८ मुक्तो छ. नाम प्रमाणेज भगवन्तोए केवळप्राप्ति पछी क्या
SR No.008453
Book TitleSaptasandhan Mahakavya
Original Sutra AuthorMeghvijay
AuthorAmrutchandracharya
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year
Total Pages480
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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