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________________ सूत्रधार नाथुनी विरचित वास्तुमचर्यान्तरगत प्रासादमञ्जरी प्रासादजाति हिमालये दारुवने सुरासुर नरादिभिः । भासादाकार पूजाभिः पुरोदेवः शिवोऽर्चितः ॥१॥ प्रासादानयं तत्र जाता जातयस्तु, चतुर्दशः । नागरा द्रापिडाश्चैव लसिनाख्या च विमानका ॥२॥ मिश्रकारूया बराटाश्च सांधाराभूमिजास्तथा । विमाननागरास्तद्वदिमानपुष्पका भिधाः ।।३।। बलभी फांसनाकारा सिंहावलोक रथारुहाः । वास्तुद्रव्यानुसारपुण्यफल मृदाकाष्टेष्टकाशैल धातुरत्नादिभिः सुधीः ॥४॥ कूर्याद स्वशक्त्या प्रासाद चतुर्वर्गफलमदः । पांमुनापि मुरागारे क्रीडया विहितेश्रियः ॥५॥
SR No.008427
Book TitlePrasad Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year1965
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size5 MB
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