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साभार धन्यवाद
सुप्रसिद्ध विद्वरत्न डॉ. वासुदेव शरणजी अग्रवाल अध्यक्ष- कला और वास्तुविभाग, काशी विश्वविद्यालय ने इस ग्रंथ की विस्तृत भूमिका लिखने का अधिक परिश्रम किया है, एतदर्थं वे साभार धन्यवाद के पात्र हैं ।
प्रस्तावना में ग्रंथकार ने मंडन सूत्रधार का ऐतिहासिक विस्तृत परिचय तथा प्रासाद ( देवालय ) और देव तत्त्व का प्रतिपादन अच्छे वैज्ञानिक दृष्टि से सविस्तार लिखा है, वह विशेष मनन करने योग्य है ।
अनुवादक