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त०- वहूअ, वहूआ, वहूहि, वहूहिं, वहूहि
वहूइ. वहूए च००-- वहूअ, वहुआ, वहूण, वहूणं
___ वहूइ, वहुए पं०- वहअ, वहूआ,
. वहूइ, वहूए
वहुत्तो, वहूओ, वहुत्तो, बहूओ, वहूर,
वहूउ, वहूहितो वहूहितो, वह तो स०- वहूअ, वहूआ, वहूम, वसुं
वहूइ, वहए सं०- बहु :
वहूआ, वहूउ, वहओ, वहू __ए प्रमाणे अज्जू ( आर्या ) पङ्ग, कणेरू, वामोरू, कद्दू (कद्दू) पीणोरू ( पीनोरू ) अने कक्कंधू (कर्कन्धू) वगेरे ऊकारांत शब्दोनां रूपाख्यानो समजवानां छे.
प्राकृतनां स्त्रीलिंगी रूपाख्यानोनी पेठे शौरसेनी, मागधी अने पैशाचीनां पण रूपाख्यानो समजवानां छे-शौरसेनीमां, मागधीमां अने अपभ्रंशमां पंचमीना एकवचनमां (प्राकृतना ओ' अने 'उ' ने बदले) 'दो' अने 'दु' प्रत्यय वापरवाना छे, पैशाचीमा एने बदले 'तो' अने 'तु' वापरवाना छे अने मागधीनी जे खास विशेषता छे ते जणावी छे.'
वधूसु.
७ वधुया
वधुयं ८ स--वधु
वधू, वधुयो -जूओ पालिप्र. पृ० १०७--१०८
१ जओ पृ० २०६