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२ अकारांत नामने लागता प्रत्ययो आकारांत नामने लगाडवाथी
तेनां रूपाख्यानो तैयार थाय छे. २ मात्र एक पंचमीनो 'हि' प्रत्यय आकारांत नामने __ लागतो नथी. ३ प्रत्यय विनाने स्थळे एटले ज्यां शन्य छे त्या मुळ आने ज
रूपाख्यान तरीके समजबु. ४ संबोधननां रूपो प्रथमानी जेवां थाय छे.
हाहा
प०-हाहा
हाहा. बी०-हाहां सं०-हाहाण, हाहाणं हाहाहिं, हाहाहिं, हाहाह. १० छ०-हाहस्स
हाहाण, हाहाणं. [ला० च० हाहे, हाहस्स पं०-हाहत्तो, हाहाओ, हाहत्तो हाहाओ, हाहाउ, हाहाहितो हाहाउ, हाहाहितो.
हाहासंतो. स०-हाहा (ह) मि हाहासु, हाहासुं. सं०-हे हाहा !
हे हाहा ! ए रीते किलालवा ('किलालपा ) गोवा (गोपा) अने सोमवा ( सोमपा) वगेरे शब्दोनां रूपो समजवां.
१ षड्भाषाचंद्रिकाने मते कृदंतथी बनेला नामनो अंत्य स्वर इस्व थाय छे एथी 'किलालपा'' गोपा' अने ' सोमपा' नुं प्राकृत