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१०२ प्रकरण ९ उपसर्ग-अव्यय निपात
उक्सग्गाप-प्र---परवेइ (प्ररूपयति) पभासेइ (प्रभाषते) परा-परा---पराघाओ. (पराघातः) परानिणइ (पराजयते) भो, अव-अप- ओसरइ, अवसरइ (अपसरति)
ओसरिअं, अवसरिअं (अपसृतम् ) सं-सम्–संखिवइ (संक्षिपति) संखित्तं (संक्षिप्तम् ) अणु, अनु-अनु--अणुनाणइ (अनुनानाति) अनुमई (अनुमतिः) ओ, अव-अव-ओअरइ (अवतरति) ओआरो ( अवतारः)
ओआसो, अवयासो ( अवकाशः) ओ, नि, नी-निर-ओमलं, निम्मल्लं (निर्माल्यम् )
निग्गओ (निर्गतः) नीसहो (निस्सहः) दु, दू-दुर्-दुन्नयो (दुर्नयः) दूहवो (दुर्भगः) अभि, अहि-अभि--अभिहणइ (अभिहन्ति) अहिप्पाओ (अभिप्रायः) वि-वि --विकुब्बइ(विकुर्वति)विणओ (विनयः) वेणइआ (वैनयिकी) अधि, अहि-अधि---अज्झायो ( अध्यायः) अहीइ ( अधीते) सु, सू-सु-सुकरं ( सुकरम् ) सूहवो (सुभगः ) उ-उत्--उग्गच्छद ( उद्गच्छति ) उग्गओ ( उद्गतः) उप्प
तिआ ( औत्पत्तिकी) अइ, अति-अति--अईओ (अतीतः ) वइकतो (व्यतिक्रान्तः)
अतिसओ (अतिशयः) अञ्चन्तं (अत्यन्तम् ) णि, नि-नि-णिवेसो (निवेशः) संनिवेसो (संनिवेशः) निवि
सइ (निविशते) १ फक्त 'माल्य' शब्दनी पूर्वना ज 'निर' नो 'ओ' थाय छे,
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