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आलेखन-चतुष्किका छत (२०३) क्षिप्तानुक्षिप्त छत (२०६) कोल गजतालयुक्त वितान गुम्बज मंडप तलदर्शन (२०४)
२०६.७ १ पुष्पकादि १ से २७ मंडपका तल २०९। २ प्रानिव द्वादश मंडप तल २१३ ३ मेरवादि मंडप नाम स्तंभ संख्या कोष्टक तथा ६ से ३६ स्तंभ मंडप रचना २१७ ४ गूढ मंडप अष्टका तलदर्शनशिवनाद मेघनादक मंडप तल २२०-२५ १ लक्ष्मीनारायण - योगेश्वर विष्णु योगेश्वर शिव तोरण २२५ २ शिव-विष्णु ब्रह्मा-त्रिमूर्ति तोरण
नृत्य शिव परिकर तोरण (२२९) सप्त मातृकाएँ २३२ संवरणा २३२-३६ १९ ११७ अध्याय (क्रमांक अ० १९) सांधार भ्रम निरुपणाध्याय २३८-२४७
एक, दो, तीन भ्रम उत्पन्नका प्रासाद प्रमाण १० से २५ हाथका प्रासाद को एक भ्रम करना भ्रम और मितिप्रमाण २७ हाथके प्रासादको दो भ्रम, ज्येष्ठ, मध्यम, कनिष्ठमान भ्रम और मितिप्रमाण तीन भ्रमका मान उनका भ्रम और भितिप्रमाण। २३८-२४३ भ्रमयुक्त प्रासादमें शिवादि देव गणेश लकुलिश-सूर्यादि नवग्रह नारदादि रूपि पांडवो, युधिष्ठिर, भैरव, ब्रह्माके प्रासादमें वशिष्टादि ऋषिका स्वरूप करना ।
२४३-२४७ आलेखन-सांधार प्रासाद तल एक भ्रम (एक मुख) तल (२३८) द्वय भ्रम
प्रयमुख (२३९) द्वय भ्रम चातुर्मुख (२४०) त्रय भ्रम चातुर्मुख २४२ ब्रह्मा महीषासूर मर्दिनी-सूर्य-विष्णु श्रुतदेवी शारदा सरस्वतीका बार स्वरूप २४२-४५ यम, भैरव, क्षेत्रपाल, शिव उमा स्वरूप ललाट उर्ध्व तिलक २४६
शिव तांडव नृत्य स्वरूप । २. ११८ अध्याय (क्रमांक अ० २०) सांधार चातुर्मुख प्रासाद लक्षण २४८-२७७
नारदजीका प्रश्न चतुर्मुख जीन भवनका श्लोक ३ से १० अस्पष्ट अठराइ तल विभाग पर २६९ श्रृगका मानतुङ्ग प्रासाद २५० दशाइ तल पर माता प्रासाद पीठ और मंडोवर विभाग ४८॥ का एक जंघाका कनिष्ठ मान पीठ और मंडोवर विभाग ५३॥ का दो जंघाका मध्यमान पीठ और मंडोवर विभाग ७० का तीन जंघाका ज्येष्ठमान २५३-२५५ जगतिका दीर्घ व्यासका पद-कोठा परसे जिनायतनकी संकलन अगतीका २८x२५ खंड पदसे ८४ जीनायतनका जिणमाला २५५-२५८
द्वारभानसे चातुर्मुख प्रतिभामान और दृष्टिमान-दृष्टिवेध दोष २५९-६२ माखन-१ मानतुङ्गशिखर २ मंडोवर कनिष्ठमान ४८॥ भाग ३ मध्यमान
५३॥ भाग (४) जेष्ठमान मंडोवर द्वयजंघा भाग ७० (५) ८४ जीनायतन जिणमाला तल (६) जीन प्रतिमा विभाग (७) ओम प्रतिमा परिकर विभाग (4) समवसरण (९) अष्टापद ।