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चतुर्मुख महाप्रासादों जो देशमें न हो वहाँ सूर्य विना दिन.. और चंद्र बिना रात्री समान जानना |
मंडपी जंधा-या वैदीकादिमें - शीवका पंच स्वरूप- लास्य तांडव करना । वैताल: विविध बार्जित्र युक्त नारद स्तुबरु सिद्धि-बुद्धि सहीतका नृत्य गणेश ऋषि-मुनीर्यो - गोपीयों युक्त कृष्ण-स्त्री पुरुषके युग्म स्वरुपों में नृत्य करते इन्द्रादि, दिग्पालों, सूर्यादि ग्रहो, बारा राशि, २७ नक्षत्र, आठ आय, आठ व्यय, नव तारा, सात स्वर छ राग, छत्रीश रागिनीयाँ, बारह मेघ- यक्ष, गंधर्व, विद्याधर, नाग कीन्नर आदि अनेक देव-देवाङ्गनाओं, इलिकrतोरण, गज, सिंह, विरालिका साथ करना ।
मंडप क्या क्या हेतुके लीये करना ? १९८
प्रासाद के प्रमाणसे १ सम २ सवाया ३ डेढा ४ पोनेदो गुने ५ दोगुने ६ सवादो गुने ७ ढाई गुने एसे सात प्रकार मंडप हस्त मानसे करना |
घंटाका समन्वय
शिखरका शुकनास से मंडपो सांधार निरंधार प्रासादसे मंडपका उदयका तीन प्रमाण १ उत्तरतोदय २ छज्जोदय ३ भरणी उदय
१८९
आलेखन - घटपलवयुक्त स्तंभ- मदल- मकरयुक्त तोरण १८४ - ९६-९८ मकर तोरण तीन प्रकार--१ तीलक, २ हींडोलक, ३ गवालुक १९६-९७ स्तंभोंका पंच तलस्वरूप (१८५) मंडपके पीठके तीन प्रकार १८९ रुपस्तंभों तोरण और द्वार चोकी चतुस्त्रिका
१९०
१९२
कर्णाटकी देवाङ्गना १८७ शिवस्वरूप चार (१८९) रामपंचायतत पंचमुख हनुमंत-पंचमुख गणेश १९३ | आदित्य - सूर्य १२ स्वरूप ११६ अध्याय (क्रमांक अ० १८) मंडपाधिकार
नवग्रह १९५
१९८-२३७
१९८
वितान - घुमट छतका मुख्य तीन भेद १ समतल २ उदितानी ३ क्षिप्तानुक्षिप्त वितानका घाटका ६६ विभागे थरो
१९१-१९७
१९८-१९९
२००८
२००-२०२
२०३-२०१
२०९-२१२
२१३
(१) पुष्पकादि २७ मंडपों १२ से ६६ स्तंभ प्रमाण (२) सुभद्रादि प्रावि बारा मंडप । ४ से २८ स्तंभ प्रमाण (३) मेरबादि २५ मंडप ६६ से ११२ स्तंभ प्रमाण, दो से पाँच भूमि उदय २१४-१९ ( ४ ) आठ गुढ मंडपके नाम और स्वरूप (५) शिवनादि मेघनादि महामंडप २२३
२२५
गर्भगृह मंडप और चतुष्किका भूमितल उत्तरोत्तर निम्न रखना पंचविध बलाणक नाम स्वरूप स्थान और प्रमाण उत्तरत अगतिके आगे मंडप या चोकि, विषय पाट छाद्य कहा मिलाना २२६-३० संवरणाधिकार - अङ्ग विभाग घंटा - कूट संख्यामान कोष्टक (२६३) २३१-३७ सांधार निरंधार प्रासादके मंडपका कक्षासन युक्त स्तंभादि उदयके ३ मान २०८