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प्रनाम विचार (१०३) त्रिपंच-सप्त-नवशाखा तल विभाग १०४ से ८ उदंपर और अर्धचंद्र-शंखोद्वार शाखामें परिवार-देवोंका रुप करना १०९ से ११ आलेखन- गर्भगृहका आंतर और बाह्य उपांझो चार प्रकार-१०, स्तंभ छोड विभाग (१०२) त्रि-पंच -सप्त नवशाखाका तलदर्शन (१०५) त्रिशाखा द्वार-उदंम्बर भर्धचंद्र पंचखाखाका अलंकृत द्वार उदम्बर अर्धचंद्र (१०८) सप्त-नवशाखाका तलदर्शन और अर्धचंद्र
१०९-१९ द्वारशाखाका रुपवाला ठेका और उतरंङ्ग विभाग ११३ १२-११०-अध्याय (क्रमांक अ० १२) प्रतिमा-पीठ लिकमान १५१
द्वारोदयका विभागसे पीठ और उर्व प्रतिमाका तीन प्रकारका मान और शयन प्रतिमा विस्तार प्रमाण द्वार मानसे-राजलिङ्ग ११५-१८ द्वार विस्तारसे चतुर्मुख प्रतिमा प्रमाण
११९ आसनस्थ-उर्ध्वस्थ प्रतिमामान टीप्पणमें गृहयोग्य पूजा प्रतिमामान १२९-२० देवपीठ सिंहासनोदय थर विभाग (आकृति १२२) १२१-२२
आलेखन-वराह-और ललाट तिलक शिवका स्वक्षा विरालिका धुक्त १४-१८ १३-१११-अध्याय (क्रमांक अ० १३) देवता दृष्टिपद स्थापन १२३
गर्भगृहना द्वारोदयका ३२ विभाग देवताद्रष्टि स्थापन द्रष्टिवेध १२३-२५ गर्भगृहार्धमें २८ विभागमें देवस्थापन
१२६ टीप्पणमें द्रष्टि और देव स्थापन विभागके बारेमें पृथक पृथक ग्रंथका मतमतांतर (१२१ से १३६) देव द्रष्टि भोर पद स्थापन विभाग दर्शक पृथक पृथक ग्रंथोका मत मातरका कोष्टक १३५-२६
आलेखन-दशावतार विष्णुका १० स्वरुप (१२७-१३० अग्निदेव- १२९ १४-११२- अध्याय (क्रमांक अ. १४) शिखर-भद्र नासक सरध्र १३७-५१
त्रि पंच सप्त नव नासक १३७-१० शिखरोदय त्रण प्रमाण १४० शिखरकी मूल रेखाका प्रमाणसे स्कंध प्रमाण और उनका उपाङ्ग विभाग१४०-४१ सरवेधका महादोष १९१-९२ आलेखन-नासक
१३९ १५-११३-अध्याय (क्रमांक अ० १५) शिखराधिकार
शिखरोंका विविध आकार की तल पर होता है-निरंधार
और सांधार प्रासादमें शिखरकी मूल पायचा कहाँ मिलाना १४५ शिखरको विस्तारसे उदयका तीन प्रकार एको परि दुसरा उरुश्रृंगका उदयका विभाग प्रमाण शिखरका पायचासे स्कंधका प्रमाण शिखरकी मूलका विस्तारसे चतुर्गुण सूत्र वृतमें सवाया शिखरकी रेख। आँकना
१४७ शिखरका मूलमैं दश भाग और स्कंध पर नव भागका उपांग करना स्कंध पर आमने सामने प्रतिरथके कौनके बराबर आमल सारा विस्तार करना
१४८-१४९