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७४-८७
७-१०५-अध्याय (क्रमांक अ०७ द्वारमान
नागरादि द्वारमान प्रमाण-ज्येष्ठ मध्यम और कनिष्ठमान--आलेखन--
कल्याण प्रतोल्या-तोरण (६२) सप्तशाखा द्वार और अर्धचंद्र (१६) ६२-६४ ८-१०६-अध्याय (क्रमांक अ०८) पीठ थर विभाग
कामदपीठ विभाग ३३ और १८ दो प्रकार महापीठ विभाग ८५
और ९० भागका दो प्रकार;- जाडम्बा कणि ग्रासपट्टी-कामदापीठ गज, अश्व, नर-पीठका आंतरविभाग
६५ से ७३ आलेखन-जांडवा-कणिका-ग्रासपट्टी-गज अश्व-नरपीठका प्रत्येकका
आंतर विभाग-महापीठ कामदपीठ और कर्णपीठ (६५-७३) ९-१०७--अध्याय (क्रमांक अ० ९) मंडोवर थर विभाग
(१) नागरादि मंडोवर १४४ भागका (२) उसकी पर त्रय भूमि उदयका विभागका महामंडोवर भाग २४९ (३) मंडोवर २०६ विभागका उनका प्रत्येक थरका आंतर विभाग आलेखन साथ
७९-८६ आलेखन-सांधार निरंधारका तलदर्शन (७५) छ प्रकारके मंडोवरस्तंभ समन्वय साथे (७६) द्वय जंघायुक्त अलंकृत महामंडोवर (७८) जंघामें देवस्वरुपादि (८२) सोमनाथका उद्गम-और भरणी स्वरुपादि
८१-८२ -अध्याय (क्रमांक अ० १०) मेरु मंडोवर
८८-१०० १०६ विभागका मंडोवर पर (त्रीश हाथका प्रासादको त्रय भूमिका विभाग १६० + १२१ + ९६=३७७) विभाग पांत्रिश हाथका ८९ से प्रासादके चार जंघा भूमि करना (चालिश हाथके पांच जंघा-९२ भूमि करना प्रत्येक छाद्य नीचे दो दो जंघा और भूमि-९३ करना १ से १२. जंघा ५० हाथके प्रासादको करना बार जंघाका नामकरण कहा है (९३-९६) सांधार-प्रासादका मंडोवर साथ अंदरके स्तंभ छोडका समन्वय ९९ छजा परका प्रहारका १९ आंतर विभाग ( लोक ६-८) ९२ आलेखन दश दीग्पाल (८९-९०) दशावतार विष्णु (९१) प्रहार (१९), चार भूमि जंघाका मंडोवर (९४) सोमनाथका पुराना मंडोवर (९५) सोमनाथ महाप्रासाद और द्वारिकाका तलदर्शन (९७-९८) सांधार-निरंधार प्रासादका मंडोवरके साथ स्तंभका छोडका समन्वय (९९)
१०० ११-१०९-अध्याय (क्रमांक अ० ११) गर्भगृहोदय-और द्वार शाखा विभाग १०१
गर्भगृहका घांच स्वरुप (१०१) स्तंभ छोड़ उदय विभाग १०२