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अथ केशरादि वैराज्यकूल प्रासादाधिकार
२७७ તિલક ચડાવવું અને રથ-પટરા પર ઉત્તમ એવું રૂચક ચડાવવું. મૃગની ઉપર श्र| मने ते ७५२ (२५२........भि संवतो भने ४ ३ाये मी तिस यायु. 38-3७. ... ..
भावार्थ-श्रृंग मिश्रक-रूचक और भद्र पर मिश्रको तिलक......कर्णरेखा के पर तिलक चढाना और रथ-पढरेपर उत्तम ऐसा सूचक चढाना । श्रृंग के उपर श्रृंग और उसके उपर शिखर.........मिश्रक सर्वतोभद्र को कर्णरेखा पर दूसरा तिलक चढाना । ३६-३७.
कर्णे तिलकं मेकं श्री वत्सं च तथोपरि ? ॥३८॥ माल्यातकं च कर्तव्यं ऊरुश्रङ्गे विभूषितं ।। केसरी मिश्रकं विद्या तिलकः श्रृङ्ग समाकुलम् ।। ३९ ।। तथा च सर्व क्षेत्राणां मिश्रकं सर्व कामदं ।
केशराचं प्रयोज्यते यावत्कैलासमिश्रकं ॥४०॥ .. भाये मानु तिस श्री पत्स ७५२ ५वषु'........२ गथी शोलतो भायातस.......प्रासा: nega.
भिसरी प्रासाति भने श्री पाने પિતાના સર્વ ક્ષેત્રે (અઠ્ઠાઈ દશાઈ) સર્વ કામનાને દેનારા એવા મિશ્રક साहिथी भिश्रम दास सुधीन(५२यीश प्रासा) onjा. ४०.
रेखाके पर दूसरा तिलक श्रीवत्स उपर चढाना ।......उरुश्रंग से शोभता माल्यातल...प्रासाद जानना । मिश्रक केसरी प्रासादों तिलक और श्रृंगों चढाकर अपने सर्व क्षेत्रपर (अट्ठाई दशाई) सर्व कामनाको देनेवाले ऐसे मिश्रक केसरादि से मिश्रक कैलासतक के (पच्चीस प्रासादों) जानना । ४०. इति श्री विश्वकर्मा कृतायां क्षीरार्णवे नारद पृच्छते केसरादि वैराज्यकूल मिश्रक प्रासादाधिकारे शताएकोविंशतेऽध्याय ॥११९॥ क्रमांक अ० २१
ઈતિશ્રી વિશ્વક કૃતાયા ક્ષીરાણુ નારદે પૂછેલ કેસરાદિ વૈરાજ્ય કુલ મિશ્ર પ્રાસાદને અધિકાર શિલ્પ વિશારદ પ્રભાશંકર ઓઘડભાઈ સોમપુરાએ રચેલી ગુર્જર ભાષામાં સુપ્રભા નામની ટીકાનો એક સો ઓગણસમો અધ્યાય ૧૧૯. ક્રમાંક - ૨૧ इति श्री विश्वकर्माले क्षीरार्णवे में नारदपृच्छा में वैराज्यकूल मिश्रक प्रासादाधिकार शिल्प विशारद प्रभाशंकर ओघडभाई की रची हुई भाषामें सुप्रभा नामकी भाषा टोकी का एकसौ.
उन्नीसवाँ अध्याय ११९ क्रमांक अध्याय २१