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अथ शिखराधिकार
शिवरका स्कंधका आमना सामना दो प्रतिस्थका कोया समान आमलसाराका गोलप्त रखना
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शिखरमें नीचे मूलरेखाके पर-पायचेके पर दस भाग करना । उनमें दो भागकी रेखा-डेढ़ डेढ़ भागका पढरा और बाकी आधा भद्र भी उतना ही अर्थात् डेढ़ भागका-इन फालनाओंके निकाले-पायचेके बराबर जितने गज हो उसके आधे अंगुल गजके पर रखना । जिस तरह दस भाग नीचे कहे उस तरह स्कंधके पर नौ भाग करना । उनमें दो भागकी रेखा और डेढ़ भागके पदरे
और बाकी पूरा भद्र दो भागका करना । (कुल नौ भाग) इस स्कंधके कोनेके सामने कोनेमें प्रतिरथकी मध्यमें गोल आमल सारा चौडा रखना । १५-१६-१७. આ પ્રકાર વિરાટ ભૂમિ જ અને વલ્લભી જાતિના પ્રાસાદ માટે છે. (૩) સ્કંધાત એટલે નીચે પાયાથી બાંધણુ સુધી ગોળ વૃત રેખા છુટે (ઉપર આમલસારે તેનાથી બહાર રહી જાય છે તે અંધાંત ખાવાળુ શિખર નાગરાદિ જાતિના છંદના સાધાર કે નિરધાર પ્રાસાદને પ્રશસ્ત કર્યું છે.
(३) १ शिखरोदयके पायचेसे साढ़े चार गुने सूत्रसे वृत रेखा दोरना और डेढ़ गुने उदयवाले शिखरके पायचे के विस्तारसे पाँच गुनी सूत्र बृत रेखा दोरनेसे स्कंध के पर साढ़ेपाँच भागके हिसाबसे बराबर मिल रहता है ।
रेखा दोरनेके अनेक प्रकार भेदों प्रासाद शिल्प ग्रंथों में कहे हैं । उसमें प्रासादकी जाति छदके अनुसार मुख्य तीन प्रकार कहे हैं । १ शिखांतर २ घंटांत ३ स्कंधांत