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________________ Hathaatge 20 पाटण. पाटण. पाटण. पाटण पाटण. पाटण. जेसलमेर लींबडी. खंबात. भावनगर) 48 ० जैनागम लिस्ट. ३/४ : ५/६ १७ ८ ९ १० ११/१२१३ | ४ | ● 0 C अमदावाद अमदावाद. कोडाय. मुंबई. डेक्कनकॉ. छे छे छे छे छे छे छे छे छे छे, छे! छे! छे • छे छे छे छे छे छे छे छे छे छे छे छे o fa 10 ० o ० ख ० ० 0 रिमार्क. ३ छे. एनो कर्त्ता कोण छे ते बाबत तपास करतां तेनी घणी खरी प्रतोमां तो कंह नामज मलतुं नथी. रिपोर्टमां पेज ११७ मां तेना कत्ती देवकुशलसूरि लख्या छे तथा भरुचनी टपिमां होवा जोईये, एनी आदिना काव्यना चोथा चरणमां " वक्ष्याम्यनुष्टानविधि सुबोधां " वामां आवे छे. बृहद्विप्पणिकामां अना माटे आवो उल्लेख छे. पण जणाय छे अने कर्ता देवेंद्रसूरि छे एम वधु पूरवार थाय छे. " Estaश्यकं चैत्यवंदनादिसर्व श्लोक संख्यामां सहेज फेरे छे. छे के इरियावदी चैत्यवंदन अने वंदनकनी यशोदेवसूरिकृत अवचूार तथा साधु प्रतिक्रमण अने ऊपर कोहए अवचूरि लखी होय तो तेम पण संभव छे. माटे पुस्तक जोथे आवश्यक
SR No.008418
Book TitleJain Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Catalogue
File Size7 MB
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