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________________ जैन औपदेशिक. नाम. श्लोक. कता. __ क्यां छ? १ पत्र पा.३ वर्ग ४ थो.. --marअनेक प्रबंध A (गद्य) अभयदेवप्रबंध इतिहाससमुपय B उपदेशतरंगिणी | ३३०० कीर्तिकल्लोलिनी पत्र १३ कुमारपालचरित्र (प्रा.) | ९५० कुमारपालचरित्र (बीलु)। ६.३० कुमारपालचरित्र (श्रीगँ) | पत्र ३६ कुमारपालप्रतिबोध (सं.) D| २५७५ कुमारपालप्रतिबोध E रत्नमंदिरगणि हेमविजय हरिश्चंद्र जयसिंह चारित्रसुंदर पा. १-४ डेक्कन. पेज ६६ पा.२ १३१३ पा.४-५भाव. रि.६ | 4८०० सोमप्रभ १२४१ पीटर्सन रि.५ • आ वर्गमां अमारा जाणवामां आवेला इतिहासना ग्रंथोन एकत्र करी क्रमवार नोंध्या छे. इतिहासना ग्रंथो प्राये औपदेशिकनेज लगता होय छे, तेथी खास तेमने आ औपदेशिकना पेटामा दाखल करवामां आव्या छे. A अमदावादना देलाना भंडारनी टीपमा सदरहू नाम टांकेल छे, तो तेमां कया कया प्रबंधो छे ते जाणवा माटे तेनी प्रत नजरे जोवानी अवश्यकता छे. | B एमां स्वमतीय इतिहासिक बिना छे के अन्यमति बाबतज छे ते बाबत शक रहे छे, माटे तेनी पण प्रत जोवी जोइये. C आ इरिश्चंद्र ते अमारा धारवा मुबज धर्मशर्माभ्युदय महाकाव्यना करनार दिगम्बर हरिश्चंद्रसूरि होवा जोइये. D एना माटे वृहत् टिप्पनिकामा " कुमारपालप्रतिबोधः संकृतः २५७५ ॥ आवी नोंध छे, पण ते अमोने हजुसूधी क्या पण उपलब्ध थयो नथी. E वृहत् टिप्पनिकामा एना माटे नीचे मुजब नौध छे. " कुमारपालप्रतिबोधक बहुप्राकृत शतार्थिसोमप्रभसूरिभिः १२४१ वर्षे कृतः ८८००"
SR No.008418
Book TitleJain Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Catalogue
File Size7 MB
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