________________ 314 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासने पञ्चमोऽध्यायः / - - - - --- - mp p - - - - - / न्याय surroron>> 050 रु० न०१० रु० न०१० चैत्यवन्दन भाष्य पद्यानुवादादि सहित 050 / शास्त्रवार्तासमुच्चय द्वितीय भाग सटीक स्याद्यन्त रत्नाकर प्रथम विभाग 125 काव्यानुशासन प्रथम भाग नव्यटीकासह तिलकम खरीमहाकाव्यटीकात्रयोपेता प्रथम भाग 2 0 द्वात्रिंशिका चतुर्थी नयरहस्य प्रकरण सटीक तिलकमंजरी महाकाव्य टीकाटीप्पण सह सप्तभंगीनयप्रदीप प्रकरण सटीक तृतीय भाग सिद्धहेमदीपिका प्रकाश द्वितीय भाग न्यायसमुच्चय सिन्धु-तरंग टीका सह *शासनसम्राट् जीवन सौरभ अमूल्य सिद्धहेमशब्दानुशासन बेह वृत्ति बृहन्यासादिसिद्धहेमलघुवृत्ति पूर्वार्द्ध __ मह द्वितीय भाग 25 0 ॐसिद्धहेमलघुवृत्ति उत्तरार्ध नवतत्व प्रकरण [ पद्यानुवाद विवेचनादि *सिद्धहेमशब्दानुशासन बृहद्वृत्ति सहित] बृहन्यासादिसह प्रथम भाग अनेकान्तव्यवस्थाप्रकरणम् सटीक उत्तरार्ध 5 . अनेकान्तव्यवस्था सटीक पूवार्द्ध शास्त्रवासिमुच्चय सटीक तृतीय भाग सिद्धहेमलघुवृत्ति सम्पूर्ण सिद्धहेमशब्दानुशासन बहवृत्ति बृहन्न्यासादि नयोपदेश टीकाद्वयसह प्रथम भाग सहित तृतीय भाग तिलकमंजरी महाकाव्य टीकाटीप्पणसहित धातुरत्नाकर चतुर्थ भाग द्वितीयावृत्ति 2 . प्रथम भाग प्रथमकर्मग्रन्थ पद्यानुवादादिसहित परिशिष्टादि द्वात्रिविका प्रथमा सटीक भूषित द्वितीयावृत्ति द्वात्रिंशिका द्वितीया सटीक समाससारांश 0 25 शास्त्रवार्तासमुच्चय प्रथम भाग सटीक जीवविचार पद्यानुवाद विविधपरिशिष्टयुक्त तिलकमंजरी महाकाव्य टीकाटीप्पणसह द्वितीयावृत्ति द्वितीय भाग नयगोचर भ्रमनिवारणम् द्वात्रिशिका तृतीया सटीक हेमचन्द्रिका व्याकरणम् धातुरत्नाकर अष्टम भाग सिद्धहेमशब्दानुशासनबृहद्धृत्तिवृहन्न्यासादिसह नयोपदेश टीकाद्वयसहित द्वितीय भाग 6 0 षष्ठविभाग 180 另步步 श्रीनेमि-लावण्यसूरीश्वरग्रंथमाला तथा श्रीनेमि-लावण्य-दक्ष-सुशील ग्रंथमाला तरफथी प्रकाशित थयेली पुस्तिकाओ रु.आ.पा. रु.आ. पा. (1) श्रीहेमशब्दानुशासन सुधा [ प्रथम (10) प्रभु महावीर-जीवनमौरभ 1-4-0 विभाग ] 'श्रीसिद्धहैम' व्याकरणोप i (11) श्रीसिद्धचक्रकुसुम-वाटिका योगी अपूर्व ग्रंथ 5-4-0 (12) आत्मजागृतिशतक (2) श्रीरत्नाकर-पञ्चविंशतिका-वृत्तिः (13) तेरकाठीया 0-6-0 (3) श्रीगौतमस्वाम्यष्टक-वृत्तिः 1-0-0 (14) रात्रिभोजननो निषेध 0-5-0 (4) आत्मनिन्दाद्वात्रिंशिका [ प्रकाशवृत्तिसहिता ] 1-4-0 (15) श्रीसुशीलसाहित्यसंग्रह [विभाग 1-2] 3-8-0 1-0-0 (5) काव्यानुशासनम् [ अवचूरिसहित ] (16) श्रीनमस्कार महामंत्र-मौक्तिकमाला 2-8-0 1-0-0 (17) आत्मिक प्रश्रोत्तरी (6) दीक्षानो दिव्य-प्रकाश [विभाग 1-2-3, परिशिष्ट 4 सहित ] - 1-0-0 (18) प्रभोत्तर रत्नमाला 1-0-0 (7) श्रीगुरुवन्दनभाष्यनो छंदोबद्धभाषानुवाद (19) वर्द्धमान-पचाशिका 0-8-0 [विवेचनादि सहित] (20) ऋषभ-पंचाशिका 0-8-0 (8) श्रीवर्द्ध मानजिनस्तोत्र-दीपिका (21) नमस्कार द्वात्रिंशिका 0-4-0 [शब्दार्थ-स्पष्टार्थ सहित ] -0-4-0 (22) शुभनामस्मरणस्तोत्र 0-4-0 (8) जैनधर्म अने तेनी प्राचीनता 0-12-0 / (23) संघोपमा द्वात्रिशिका 0-4-0 rror X 0 / 0 ] mma 0 0 0 0 .. . . 0 / . 1-4-0 0