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________________ * श्री विजय नेमिसूरीश्वर ग्रन्थ माला रत्नम् ६२ ॥ श्राशैशवशीलशालिने श्रीनेमोशानाय नमः ॥ कुमारपाल भूपाल प्रतिबोधक सुगृहीतनामधेय, कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्रसूरि भगवत्प्रणीतं । ॥ श्री सिद्ध हेमचन्द्र शब्दानुशासनम् ॥ [ स्वोपज्ञ तत्व प्रकाशिकाभिध वृहद्वृत्ति शब्दमहार्णवन्यास तदनुसन्धान सहितम् ] तत्र तृतीयाऽध्यायस्य द्वितीय-तृतीयपादौ नम्र सूचन इस ग्रन्थ के अभ्यास का कार्य पूर्ण होते ही नियत समयावधि में शीघ्र वापस करने की कृपा करें. जिससे अन्य वाचकगण इसका उपयोग कर सकें. न्यासा मुसन्धामकारः संपादकश्च जगद्गुरु शासनसम्राट् सूरिचक्रचक्रवत तपोगच्छाधिपति विविध तीर्थोद्धारक परम पूज्याचार्यदेवेश श्रीविजयनेमिसूरीश्वर पट्टालङ्कार-व्याकरण वाचस्पति कविरत्न शास्त्रविशारद इति पदाङ्कृत श्रीमद्विजयलावण्यसूरीश्वरः ।
SR No.008412
Book TitleSwopagnyashabda maharnavnyas Bruhannyasa Part 3 2 3
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorLavanyasuri
PublisherJain Granth Prakashak Sabha
Publication Year
Total Pages254
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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