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२७ पंचार्थी स्तव आचार्यनामगर्भित.
| ३१ अर्जुन पताका. २८ जैन रमल शास्त्र
३२ भाषा चौविशी. २९ पंचाख्यान.
३३ विजय पताका. ३० पंचमीकथा.
| ३४ धर्ममंजुषा. (मूर्तिपूजा सिद्ध) पांचहजारसे भी अधिक धन खर्च करके जिस गहरे परिश्रमसे और अनेकों खुशामदोंसे अहद्गीता टीका और भाष्यादि ग्रंथ हमें प्राप्त हुवे हैं. यदि पाठकोंने इन्हें स्वीकृत किये तो हमारा श्रम अवश्य सफल होगा.
गीताकी एक कॉपी टीका भाष्यकेसाथ जिसमें "अहद्गीता" ऐसा नाम लिखाहै, और दूसरी मूळ कॉपि |जिसमें "भगवद्गीता" ऐसा नाम लिखा है, तथा तीसरी कॉपि जिसमें तत्वगीता ऐसा नाम लिखाहै. हम यह तीनोंही | नाम पाठकोंके समक्ष इसलिये रख रहे हैं कि इनमेंसे जोभी नाम आपमहानुभावोंको पसंद हो, उसकी हमें अवश्य सूचनादें ताकि हम अगली आवृत्तीमें वही नाम रखसकें! हम अपने इस उत्तर दायित्वपूर्ण कृतकार्यमें कहांतक सफल हुवे है इसका निर्णय विज्ञपाठकोंपरही निर्भरहै। प्रेसकें भूतोंकी कृपासे यदि कहीं शुद्धाशुद्धीका नियम भंग हुवा होतो विज्ञ उसे सुधारकर पढ़ें। यह अहंद्गीता विज्ञ समाजमें एक नई लहर पैदा करदेगी. यदि पाठकोंने इसे अपनायातो ऐसी आशा है ।
निवेदन एस्. के. कोटेचा जैन. मु. धूलिया [जि. प. खानदेश.]