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-२अजीव अधिकार
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[शार्दूलविक्रीडित]
जीवाजीवविवेकपुष्कलदृशा प्रत्याययत्पार्षदानासंसारनिबद्धबन्धनविधिध्वंसाद्विशुद्धं स्फुटत्। आत्माराममनन्तधाम महसाध्यक्षेण नित्योदितं धीरोदात्तमनाकुलं विलसति ज्ञानं मनो हादयत्।।१-३३।।
[सवैया इकतीसा] जीव और अजीव के विवेक से है पुष्ट जो, ऐसी दृष्टि द्वारा इस नाटक को देखता। अन्य जो सभासद है उन्हें भी दिखाता और, दुष्ट अष्ट कर्मों के बंधन को तोड़ता ।। जाने लोकालोक को पै निज में मगनरहे, विकसित शुद्ध नित्य निज अवलोकता। ऐसो ज्ञानवीर धीर मंग भरे मनमें , स्वयं ही उदात्त और अनाकुल सुशोभता ।।३३।।
खंडान्वय सहित अर्थ:- "ज्ञानं विलसति'' [ ज्ञानं] ज्ञान अर्थात् जीवद्रव्य [ विलसति] जैसा है वैसा प्रगट होता है। भावार्थ इस प्रकार है कि अब तक विधिरूपसे शुद्धाङ्ग तत्त्वरूप जीवका निरूपण किया अब आगे उसी जीवका प्रतिषेधरूपसे निरूपण करते हैं। उसका विवरण-शुद्ध जीव है, टङ्कोत्कीर्ण है, चिद्रूप है ऐसा कहना विधि कही जाती है। जीवका स्वरूप गुणस्थान नहीं, कर्मनोकर्म जीवके नहीं, भावकर्म जीवका नहीं ऐसा कहना प्रतिषेध कहलाता है। कैसा होता हुआ ज्ञान प्रगट होता है ? 'मनो ह्वादयत्'' [ मनः] अन्तःकरणेन्द्रियको [ ह्वादयत् ] आनन्दरूप करता हुआ। और कैसा होता हुआ ? “विशुद्धं'' आठ कर्मोसे रहितपने कर स्वरूपरूपसे परिणत हुआ। और कैसा होता हुआ ? "स्फुटत्' स्वसंवेदनप्रत्यक्ष होता हुआ। और कैसा होता हुआ ? 'आत्मारामम्' [आत्म] स्वस्वरूप ही है [ आरामम्] क्रीड़ावन जिसका ऐसा होता हुआ। और कैसा होता हुआ ? ''अनन्तधाम'[अनन्त] मर्यादासे रहित है [धाम] तेजपुजु जिसका ऐसा होता हुआ। और कैसा होता हुआ ? "अध्यक्षेण महसा नित्योदितं'' [अध्यक्षेण] निरावरण प्रत्यक्ष [ महसा] चैतन्यशक्ति के द्वारा [ नित्योदितं] त्रिकाल शाश्वत है प्रताप जिसका ऐसा होता हुआ। और कैसा होता हुआ ? "धीरोदात्तम्'' [धीर] अडोल और उदात्तम्] सबसे बड़ा ऐसा होता हुआ। और कैसा होता हुआ ? "अनाकुलं'' इन्द्रियजनित सुख-दुःखसे रहित अतीन्द्रिय सुखरूप बिराजमान होता हुआ। ऐसा जीव जैसे प्रगट हुआ उसे कहते हैं"आसंसारनिबद्धबन्धनविधिध्वंसात्" [आसंसार] अनादि कालसे [ निबद्ध] जीवसे मिली हुई चली आई है ऐसी [ बन्धनविधि] ज्ञानावरणकर्म, दर्शनावरणकर्म, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम, गोत्र, अन्तराय ऐसे हैं जो द्रव्यपिंडरूप आठ कर्म तथा भावकर्मरूप हैं जो राग,द्वेष, मोहपरिणाम इत्यादि हैं बहुत विकल्प उनका [ध्वंसात् ] विनाशसे जीवस्वरूप जैसा कहा है वैसा है।
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