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लेना पर शादी से इन्कार न करो, क्योंकि वे जानते थे कि सर्वांगसुन्दरी कन्यायें अपने रूप और गुणों द्वारा जम्बुकुमार का मन रंजायमान कर लेंगी और फिर जम्बूकुमार वैराग्य की बातें भूल जावेंगे, पर....... । बहिन पर क्या ?
भाई - पर जम्बूकुमार ने शादी करना तो स्वीकार कर लिया, किन्तु उनके मन को सांसारिक विषयवासनायें अपनी ओर खींच न सकीं।
बहिन – तो क्या शादी नहीं हुई ?
भाई - शादी तो हुई पर दूसरे ही दिन जम्बूकुमार घर-बार, कुटुम्ब - परिवार, धन-धान्य और देवांगना-तुल्य चारों स्त्रियों को त्याग कर नग्न दिगम्बर साधु हो गये ।
बहिन - उनकी पत्नियों के नाम क्या थे ? क्या उन्होंने उन्हें दीक्षा लेने से रोका नहीं ?
भाई - उनके नाम पद्मश्री, कनकश्री, विनयश्री और रूपश्री थे । उन्होंने अपने हाव-भाव, रूप लावण्य, सेवा-भाव और बुद्धि चतुराई से पूरा-पूरा प्रयत्न किया, पर आत्मानन्द में मग्न रहने के अभिलाषी जम्बूकुमार के मन को वे विचलित न कर सकीं ।
बहिन - ठीक ही है । रागियों का राग ज्ञानियों को क्या प्रभावित करेगा ? ज्ञान और वैराग्य की किरणें तो अज्ञान और राग को नाश करने में समर्थ होती हैं।
भाई - ठीक कहती हो बहिन ! उनके ज्ञान और वैराग्य का प्रभाव तो उस विद्युच्चर नामक चोर पर भी पड़ा, जो उसी रात जम्बूकुमार के मकान में चोरी करने आया था; लेकिन जम्बूकुमार तथा उनकी नवपरिणीता स्त्रियों की चर्चा को सुनकर तथा उन कुमार की वैराग्य परिणति देख उनके साथ ही मुनि हो गये।
बहिन - और उन कन्याओं का क्या हुआ ?
भाई उन्होंने भी अपनी दृष्टि को विषय कषाय से हटाकर वैराग्य
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की तरफ मोड़ा और वे दीक्षा लेकर अर्जिकायें हो गईं। जम्बूस्वामी के माता-पिता ने भी अर्जिका और मुनिव्रत अंगीकार किया ।
इसप्रकार सारा ही वातावरण वैराग्यमय हो गया। जम्बूकुमार मुनि निरंतर आत्म-साधना में मग्न रहने लगे और माघ सुदी सप्तमी के दिन - जिस दिन उनके गुरु सुधर्माचार्य को निर्वाण लाभ हुआ जम्बूस्वामी को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी ।
बहिन - जिसप्रकार महावीर का निर्वाण दिवस और गौतम का केवलज्ञान - दिवस एक ही है, उसीप्रकार सुधर्माचार्य का निर्वाण दिवस और जम्बूस्वामी का केवलज्ञान दिवस एक ही हुआ ।
भाई - हाँ ! उसके बाद जम्बूस्वामी की दिव्यध्वनि द्वारा १८ वर्ष तक मगध से लेकर मथुरा तक के प्रदेशों में तत्त्वोपदेश होता रहा और अन्त में वे चौरासी (मथुरा) से मोक्ष पधारे।
प्रश्न
१. जम्बूस्वामी का संक्षिप्त परिचय अपनी भाषा में दीजिए।
२. महाकवि पण्डित राजमलजी पाण्डे के व्यक्तित्व और कर्तृत्व पर प्रकाश डालिये।
१. पण्डित राजमलजी इन्हें विपुलाचल से मोक्ष जाना मानते हैं।
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