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समयसार इससे यह सिद्ध होता है कि निर्विकल्पशुद्धात्मपरिछित्तिलक्षणवाला वीतरागसम्यक्त्वचारित्र के अविनाभूत अभेदनय से शुद्धात्मानुभूति शब्द से कहे जानेवाला भावश्रुतज्ञान क्षायोपशमिक होने पर भी मोक्ष का कारण होता है। ___एकदेशव्यक्तिलक्षण में कथंचित् भेदाभेदरूप द्रव्यपर्यायात्मक जीवपदार्थ की शुद्धभावना (स्वानुभूति) की अवस्था में शुद्धपारिणामिकभाव ध्येयभूत द्रव्य है, ध्यान करने योग्य विषय है और वह शुद्धपारिणामिकभाव ध्यानपर्वावरूप नहीं है, क्योंकि ध्यान की पर्याय नश्वर है।"
आज भी आत्मार्थी जैनसमाज में ऐसे लोग हैं, जो यह मानते हैं कि एकमात्र परमपारिणामिकभाव रूप त्रिकालीध्रुव भगवान आत्मा ही मुक्ति का कारण है; अन्य क्षयोपशमादिभाव नहीं।
इसप्रकार के लोग आचार्य जयसेन के समय में भी रहे होंगे। इसीकारण उन्हें इस विषय पर विशेष प्रकाश डालने का भाव आया।
यद्यपि वे स्वयं इस विषय की चर्चा करते हुए ३२०वीं गाथा की टीका में इस भाव को व्यक्त कर चुके थे; तथापि यहाँ पुन: उसी विषय पर और अधिक स्पष्टता से प्रकाश डालने का विकल्प उन्हें आया। वे यहाँ अत्यन्त स्पष्ट शब्दों में लिखते हैं कि मोक्षमार्ग तो पर्यायरूप ही होता है, परिणमनरूप ही होता है; चूँकि त्रिकालीध्रुव पारिणामिकभाव परिणमनरूप नहीं है, निष्क्रिय है; अत: बंध-मोक्ष का कारण भी नहीं है; बंध के कारण तो औदयिकभाव हैं और मुक्ति के कारण औपशमिक, क्षायोपशमिक और क्षायिकभाव हैं। पारिणामिकभाव द्रव्य की अपेक्षा शुद्ध है और ये औपशमिक भाव पर्यायों की अपेक्षा शुद्ध हैं तथा औदयिकभाव अशुद्ध हैं; इसीकारण बंध के भी कारण हैं।
(मालिनी) अ ल म ल - मति ज ल प - द, वि क ल पर न ल प - रयमिह परमार्थश्चेत्यतां नित्यमेकः। स्वरस - वि स र - पूर्ण ज्ञान - वि स फ ति मात्रा -
न्न खलु समयसारादुत्तरं किंचिदस्ति ।।२४४।। इसप्रकार अन्त में यही सुनिश्चित रहा कि औपशमिकादि शुद्धभावों से परिणमित निश्चयरत्नत्रय धारी जीव मुक्तिमार्गी हैं और ये निश्चयरत्नत्रय के भाव मुक्ति का मार्ग है। यह निश्चयरत्नत्रयभाव ही भावलिंग है, जो मुक्ति का वास्तविक कारण है और इसके साथ अनिवार्यरूप से होनेवाले महाव्रतादि के शुभभाव और नग्नदिगम्बरादि क्रियारूप द्रव्यलिंग उपचरित कारण हैं। तात्पर्य यह है कि उनकी अनिवार्य उपस्थिति होने पर भी वे मुक्ति के वास्तविक कारण नहीं हैं। ___ अब इस प्रकरण को समेटते हुए इसी भाव का पोषक कलश काव्य लिखते हैं, जिसका पद्यानुवाद इसप्रकार है -