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समयसार पर जो करता है, वही भोगता है तथा अनित्यपर्याय की दृष्टि से देखने पर करता कोई और है व भोगता कोई और ही है - ऐसा अनेकान्त है। इसप्रकार यहाँ नित्यानित्य और कर्ता-भोक्ता संबंधी अनेकान्त सिद्ध किया गया है।
(शार्दूलविक्रीडित ) कर्तुर्वेदयितुश्च युक्तिवशतो भेदोऽस्त्वभेदोऽपि वा कर्ता वेदयिता च मा भवतु वा वस्त्वेव संचिन्त्यताम् । प्रोता सूत्र इवात्मनीह निपुणैर्भेत्तुं न शक्या क्वचि
च्चिच्चन्तामणिमालिकेयमभितोऽप्येका चकास्त्वेव नः।।२०९।। अब इसी भाव का पोषक कलश काव्य लिखते हैं, जिसका पद्यानुवाद इसप्रकार है -
(रोला ) यह आतम है क्षणिक क्योंकि यह परमशुद्ध है।
जहाँ काल की भी उपाधि की नहीं अशुद्धि ।। इसी धारणा से छूटा त्यों नित्य आतमा।
ज्यों डोरा बिन मुक्तामणि से हार न बनता ।।२०८।। आत्मा को सम्पूर्णतया शुद्ध चाहनेवाले किन्हीं अन्धों ने - अज्ञानियों ने काल की उपाधि के कारण भी आत्मा में अधिक अशुद्धि मानकर अतिव्याप्ति को प्राप्त होकर शुद्धऋजुसूत्रनय में रत होते हुए चैतन्य को क्षणिक कल्पित करके इस आत्मा को उसीप्रकार छोड़ दिया कि जिसप्रकार हार के डोरे को न देखकर मात्र मोतियों को ही देखनेवाले हार को छोड़ देते हैं।
जिसप्रकार डोरे में सुव्यवस्थित क्रम से अवस्थित मोतियों को ही हार कहा जाता है; उसीप्रकार नित्यध्रुवांश में क्रम से अवस्थित अनित्यपर्यायों को ही द्रव्य कहते हैं। आत्मा भी द्रव्य है। इसलिए वह भी नित्य द्रव्य, गुण और अनित्य पर्यायों के समुदायरूप ही है। __जिसप्रकार डोरे की उपेक्षा करके मोतियों पर दृष्टि केन्द्रित करनेवाले हार को प्राप्त नहीं कर सकते; उसीप्रकार नित्यता की उपेक्षा करनेवाले लोग भी क्षणिकपर्यायों में मुग्ध होकर आत्मवस्त को प्राप्त नहीं कर सकते।
कुछ लोगों का ऐसा कहना है कि नित्यता में कालभेद पड़ने से अशुद्धि आ जाती है और एक क्षणवर्ती पर्याय को वस्तु मानने में कालभेद नहीं पड़ता; अत: वह पूर्णतः शुद्ध ही होती है। शुद्धऋजुसूत्रनय एक समयवर्ती पर्याय को ग्रहण करता है। इसकारण यहाँ यह कहा गया है कि शुद्धता के लोभ में ऋजुसूत्रनय के विषय को ही वस्तु मानकर जो लोग संतष्ट हैं: उन्हें उसीप्रकार आत्मा की प्राप्ति नहीं होती, जिसप्रकार डोरे की उपेक्षा करनेवाले मोती के लोभियों को मोतियों का हार नहीं मिलता।
इसप्रकार इस कलश में यही कहा गया है कि आत्मा को सर्वथा क्षणिक माननेवाले लोगों को आत्मा की प्राप्ति उसीप्रकार नहीं होती, जिसप्रकार डोरे की उपेक्षा करनेवाले मोतियों की माला से