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मोक्षाधिकार ज्ञान, दर्शन, सुखादि गुणों को लेना चाहिए।
पण्णाए घित्तव्वो जो दट्ठा सो अहं तु णिच्छयदो। अवसेसा जे भावा ते मज्झ परे त्ति णादव्वा ॥२९८।। पण्णाए घित्तव्वो जो णादा सो अहं तु णिच्छयदो। अवसेसा जे भावा ते मज्झ परे त्ति णादव्वा ।।२९९।।
प्रज्ञया गृहीतव्यो यो द्रष्टा सोऽहं तु निश्चयतः। अवशेषा ये भावा: ते मम परा इति ज्ञातव्याः ।।२९८।। प्रज्ञया गृहीतव्यो यो ज्ञाता सोऽहं तु निश्चयतः।
अवशेषा ये भावा: ते मम परा इति ज्ञातव्याः ।।२९९।। चेतनाया दर्शनज्ञानविकल्पानतिक्रमणाच्चेतयितृत्वमिव द्रष्टुत्वं ज्ञातृत्वं चात्मन: स्वलक्षणमेव । ततोऽहं द्रष्टारमात्मानं गृह्णामि । यत्किल गृह्णामि तत्पश्याम्येव; पश्यन्नेव पश्यामि, पश्यतैव पश्यामि, पश्यते एव पश्यामि, पश्यत एव पश्यामि, पश्यत्येव पश्यामि, पश्यंतमेव पश्यामि । अथवा न पश्यामि; न पश्यन् पश्यामि, न पश्यता पश्यामि, न पश्यते पश्यामि, न पश्यतः पश्यामि, न पश्यति पश्यामि, न पश्यंत पश्यामि; किन्तु सर्वविशुद्धो दृङ्मात्री भावोऽस्मि ।
२९७वीं गाथा में जो बात सामान्य चेतकस्वभाव के बारे में अथवा सामान्य चेतना के बारे में कही गई थी; अब आगामी गाथाओं में वही बात ज्ञायकस्वभाव और दर्शकस्वभाव अथवा ज्ञानचेतना और दर्शनचेतना के बारे में कही जा रही है। गाथायें मूलत: इसप्रकार हैं -
(हरिगीत) इस भाँति प्रज्ञा ग्रहे कि मैं हूँ वही जो देखता। अवशेष जो हैं भाव वे मेरे नहीं यह जानना ।।२९८।। इस भाँति प्रज्ञा ग्रहे कि मैं हूँ वही जो जानता।
अवशेष जो हैं भाव वे मेरे नहीं यह जानना ।।२९९।। प्रज्ञा के द्वारा इसप्रकार ग्रहण करना चाहिए कि जो देखनेवाला है, वह निश्चय से मैं ही हूँ; शेष जो भाव हैं, वे मुझसे पर हैं - ऐसा जानना चाहिए।
प्रज्ञा के द्वारा इसप्रकार ग्रहण करना चाहिए कि जो जाननेवाला है, वह निश्चय से मैं ही हूँ; शेष जो भाव हैं, वे मुझसे पर हैं - ऐसा जानना चाहिए। इन गाथाओं का भाव आत्मख्याति में इसप्रकार स्पष्ट किया गया है -
“चेतना दर्शन-ज्ञानरूप भेदों का उल्लंघन नहीं करती; इसलिए चेतकत्व की भाँति दर्शकत्व और ज्ञातृत्व भी आत्मा के स्वलक्षण ही हैं। इसलिए मैं देखनेवाले आत्मा को ग्रहण करता हूँ।
ग्रहण करता हूँ अर्थात् देखता ही हूँ, देखता हुआ ही देखता हूँ, देखते हुए के द्वारा ही देखता हूँ, देखते हुए के लिए ही देखता हूँ, देखते हुए से ही देखता हूँ, देखते हुए में ही देखता हूँ, देखते हुए को ही देखता हूँ। अथवा नहीं देखता; न देखते हुए देखता हूँ, न देखते हुए के द्वारा देखता हूँ, न देखते हुए के लिए देखता हूँ, न देखते हुए से देखता हूँ, न देखते हुए में देखता हूँ और न