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नेमिकुमार को अपने रास्ते से हटाना चाहते थे; परन्तु बहुत ही सम्मानपूर्वक और स्नेह के साथ । वे जानते | थे कि नेमि वैराग्य प्रकृति के तो हैं ही; थोड़ा-सा कोई का निमित्त मिलेगा तो वह निश्चित दीक्षा लेकर वनवासी हो जायेंगे। इसके लिए श्रीकृष्ण ने यह उपाय सोचा होगा। निश्चित ही नेमि की विराग प्रकृति को देखकर उन्हें अपने रास्ते से हटाने के लिए विवाह और पशुओं का बन्धन आदि घटनाएँ श्रीकृष्ण की सुनियोजित योजना रही होगी।" ___ अन्य कोई धार्मिक व्यक्तियों का मत था कि जन्म से ही तीन ज्ञान के धनी, तद्भव मोक्षगामी तीर्थंकर नेमिनाथ जैसे अहिंसा का सन्देश देनेवाले के बराती मांसाहारी हो ही नहीं सकते; अत: मांसाहार की बात सर्वथा अनुचित ही है, असत्य ही है, मिथ्या अफवाह है।
वस्तुत: बात यह थी कि - बारात का समय गोधूलिका था, अत: राजमार्ग पशुओं से अवरुद्ध न हो जाय, एतदर्थ व्यवस्थापकों द्वारा बांस-बल्लियाँ बांधकर राजमार्ग सुरक्षित किया गया था। इस कारण रास्ता अवरुद्ध होने से मार्ग के दोनों ओर पशु खड़े-खड़े रंभा रहे थे।
इसप्रकार संसार के स्वार्थीपन का स्वरूप ख्याल में आते ही नेमिकुमार विवाह से विरक्त हो गये। उनके वैराग्य में पशुओं का बन्धन कारण बना - यह ध्रुव सत्य है। नेमिकुमार ने शादी नहीं की। सोचने लगे - "जिसतरह सैकड़ों नदियाँ भी समुद्र को सन्तुष्ट नहीं कर पाती; उसीतरह बाह्य विषयों से उत्पन्न सांसारिक सुख के साधन जीवों का दुःख दूर नहीं कर पाते हैं" - ऐसा विचार कर नेमिकुमार ने दीक्षा लेकर मुनि बनने का निश्चय कर लिया। उसीसमय पंचम स्वर्ग से लौकान्तिकदेव नेमिनाथ के वैराग्य की अनुमोदना करने आ पहुँचे इन्होंने निवेदन किया, इससमय भरत क्षेत्र में धर्मतीर्थ प्रवर्तन का समय है; अत: धर्मतीर्थ प्रवर्तन कीजिए।
देव-देवेन्द्रों ने महोत्सवपूर्वक उनका जोरदार दीक्षाकल्याणक मनाया। सर्वप्रथम इन्द्रों ने स्तुति की। बाद में स्नानपीठ पर विराजमान कर देवों के द्वारा लाए हुए क्षीरोदक से उनका अभिषेक किया एवं || २१)
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