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ज्ञेयतत्त्वप्रज्ञापन : ज्ञानज्ञेयविभागाधिकार
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मोहादिक कर्मों से बंधा हुआ होने से जीव प्राणों से संयुक्त होता हुआ कर्मफल को भोगता है और अन्य कर्मों से बंधता है।
यतो मोहादिभिः पौद्गलिककर्मभिर्बद्धत्वाज्जीव: प्राणनिबद्धो भवति, यतश्च प्राणनिबद्धत्वात्पौद्गलिककर्मफलमुपभुजानः पुनरप्यन्यैः पौद्गलिककर्मभिर्बध्यते; ततः पौद्गलिककर्मकार्यत्वात्पौद्गलिककर्मकारणत्वाच्च पौद्गलिका एव प्राणा निश्चियन्ते॥१४८॥
प्राणैर्हि तावज्जीव: कर्मफलमुपभुक्ते, तदुपभुञ्जानो मोहप्रद्वेषावाप्नोति; ताभ्यां स्वजीवपरजीवयोः प्राणाबाधं विदधाति । तदा कदाचित्परस्य द्रव्यप्राणानाबाध्य कदाचिदनाबाध्य स्वस्य भावप्राणानुपरक्तत्वेन बाधमानो ज्ञानावरणादीनि कर्माणि बध्नाति । एवं प्राणाः पौद्गलिककर्मकारणतामुपयान्ति ।।१४९।।
यदि जीव मोह और द्वेष के द्वारा स्व-पर जीव के प्राणों को बाधा पहुंचाते हैं तो पूर्वकथित ज्ञानावरणादि कर्मों द्वारा बंधते हैं।
आचार्य अमृतचन्द्र इन गाथाओं का भाव इसप्रकार स्पष्ट करते हैं___ "मोहादिक पौद्गलिक कर्मों से बँधा होने से जीव प्राणों से संयुक्त होता है और प्राणों से संयक्त होने के कारण पौदगलिक कर्मफल को भोगता हआ पौदगलिक कर्मों से बँधता है; इसलिए पौद्गलिक कर्म के कार्य व कारण होने से प्राण पौद्गलिक ही निश्चित होते हैं।
प्राणों से कर्मफल भोगता हुआ जीव मोह व द्वेष को प्राप्त होता है और मोह व द्वेष से स्वजीव व परजीव के प्राणों को बाधा पहुँचाता है। परप्राणों को बाधा पहुँचाये, चाहे न पहुँचाये; उपरक्तपने से अपने भावप्राणों को बाधा पहुंचाता हुआ जीव ज्ञानावरणादि कर्मों को तो बाँधता ही है। इसप्रकार प्राण पौद्गलिक कर्मों के कारणपने को प्राप्त होते हैं।" __आचार्य जयसेन तात्पर्यवृत्ति टीका में वैसे तो तत्त्वप्रदीपिका का अनुसरण करते हैं; किन्तु अन्त में उक्त तथ्य को निष्कर्ष के रूप में सोदाहरण इसप्रकार प्रस्तुत करते हैं - ___ "जिसप्रकार तपे हुए लोहे के गोले से दूसरों को मारने का इच्छुक पुरुष पहले तो स्वयं को ही जलाता है; दूसरे जलें या न जलें। इसीप्रकार मोहादि परिणत अज्ञानी जीव पहले विकार रहित स्व-संवेदन ज्ञानस्वरूप अपने शुद्ध प्राणों का घात करता है; बाद में दूसरों के प्राणों का घात हो, चाहे न हो।"
इसप्रकार इन गाथाओं में और उनकी टीका में यही कहा गया है कि मोहादिक पौद्गलिक कर्मों से बँधा होने से जीव प्राणों से संयुक्त होता है और कर्मफल को भोगता हुआ पुन: कर्मों से