________________
ज्ञेयतत्त्वप्रज्ञापन : द्रव्यसामान्यप्रज्ञापन अधिकार
२३१ अब इसी बात को विस्तार से समझाते हैं -
'चेतनद्रव्य का अभाव अचेतनद्रव्य है और अचेतनद्रव्य का अभाव चेतनद्रव्य है - इसप्रकार का अभाव तो भिन्न-भिन्न अनेक द्रव्यों में पाया जाता है। इसकारण 'द्रव्य का अभाव गुण और गुण का अभाव द्रव्य' यदि ऐसा माना जाय तो जिसप्रकार भिन्न-भिन्न द्रव्यों में अनेकत्व है; उसीप्रकार का अनेकत्व द्रव्य और गुण में भी तो हो जायेगा। __जिसप्रकार सोने का अभाव होने पर सोनेपन का अभाव हो जाता है और सोनेपन का अभाव होने पर सोने का अभाव हो जाता है - इसप्रकार उभयशून्यता (दोनों का अभाव) हो जाती है; उसीप्रकार द्रव्य का अभाव होने पर गुण का अभाव और गुण का अभाव होने पर द्रव्य का अभाव हो जावेगा अर्थात् दोनों का अभाव हो जायेगा, उभयशून्यता हो जावेगी। ___ यथा पटाभावमात्र एव घटो घटाभावमात्र एव पट इत्युभयोरपोहरूपत्वं तथा द्रव्याभावमात्र एव गुणो गुणाभावमात्र एव द्रव्यमित्यत्राप्यपोहरूपत्वं स्यात् । ततो द्रव्यगुणयोरेकत्वमशून्यत्व मनपोहत्वं चेच्छता यथोदित एवातद्भावोऽभ्युपगन्तव्यः ।।१०८।।
जिसप्रकार पटाभाव (वस्त्र का अभाव) मात्र घट (घड़ा) है और घटाभाव मात्र पट है; इसप्रकार दोनों के अपोहरूपता (केवल नकारात्मकता) है; उसीप्रकार द्रव्याभाव मात्र गुण है और गुणाभाव मात्र द्रव्य है - इसप्रकार इसमें भी अपोहरूपता आ जावेगी।
इसप्रकार द्रव्य का अभाव गुण और गुण का अभाव द्रव्य मानने पर द्रव्य और गुण को अनेकत्व, उभयशून्यता और अपोहरूपता (केवल नकारात्मकता) के प्रसंग उपस्थित होंगे। इसलिए द्रव्य और गुण में एकत्व, अशून्यत्व और अनपोहत्व को चाहनेवाले अतद्भाव का वही लक्षण स्वीकार करें; जो कि यहाँ कहा गया है।"
इसप्रकार इस गाथा में यह कहा गया है कि द्रव्य और सत्ता ( अस्तित्व) गुण में परस्पर सर्वथा अभाव नहीं है, अतद्भाव है। इस बात को सिद्ध करते हुए टीका में यह कहा गया है कि यदि द्रव्य और सत्ता गुण में परस्पर सर्वथा अभाव मानोगे तो तीन दोष उपस्थित होंगे; जो इसप्रकार है -
१. जिसप्रकार दो द्रव्यों में परस्पर पृथक्ता है, अनेकत्व है; उसीप्रकार की पृथक्ता या अनेकत्व द्रव्य में और सत्ता गुण में भी हो जायेगा।
२. द्रव्य के अभाव में गुण का सद्भाव संभव नहीं है और गुण के अभाव में द्रव्य का सद्भाव संभव नहीं; इसप्रकार एक के अभाव होने पर दोनों का ही अभाव हो जायेगा । तात्पर्य यह है कि दोनों की शून्यता (उभयशून्यता) हो जावेगी।