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________________ ८२ पश्चात्ताप सम्बन्धी, का अधिक जीवन्त प्रमाण होगा। अतः रचना को पढ़ते ही मैंने कवि से उसे छपाने का आग्रह किया, जिसे शायद मुझे बहलाने के लिए ( मुझे ऐसा लगा ) शिथिल मन से स्वीकार किया; क्योंकि कवि इसे अल्पवय में लिखी होने से अधिक प्रौढ़ नहीं मानते, साथ ही वे जिस अध्यात्म के प्रवक्ता हैं, उससे इसका वास्ता थोड़ा दूर का था। बाद में शायद अन्य अनुरागियों ने भी आग्रह किया होगा, इसीलिए यह रचना प्रकाशित हो सकी। मुझे यह रचना को तीन प्रतियों में क्रमशः मूल, संशोधित एवं पुनः संशोधित प्राप्त हुई । लेखक ने अपने मन की संतुष्टि के लिए मामूली फेरबदल भले ही किया हो, लेकिन काव्य की मूल आत्मा, उसके प्रतिपाद्य पर उस संशोधन का कोई खास असर नहीं पड़ा; क्योंकि यह अंतिम रूप में भी कतिपय भाषाई भूलों के सुधार के बावजूद वैसी ही थी, जैसी कि मूल प्रति थी अर्थात् कैशोर्य भाव प्रौढ़ता की आँच में पका नहीं था । यद्यपि मैंने कवि की परवर्ती काव्य रचनाओं का भी आस्वादन ; परन्तु जैसी ताजगी और मौलिकता का आभास इस रचना में हुआ, वैसा परवर्ती रचनाओं में नहीं हुआ। मुझे कवि ने गुरुवत् इस रचना पर अपनी राय देने के लिए आदेश दिया था; किन्तु रचना को पढ़कर ऐसा मन रमा कि यह आलेख तैयार हो गया । किया; अंत में, यही भावना है कि रसिकजन इस काव्यामृत का आचमन कर इसके आनंद में डूबें, तैरें, पार हों। अस्तु! प्रो. संजय कुमार जैन 'भोगाँव' प्रवक्ता एवं विभागाध्यक्ष स्व. राजेश पायलट राजकीय महाविद्यालय, बाँदीकुई, दौसा (राजस्थान ) पश्चात्ताप लेखक के महत्त्वपूर्ण प्रकाशन ८३ ४.०० २०.०० २०.०० समयसार (ज्ञायकभाव प्रबोधिनी) ५०.०० मैं कौन हूँ समयसार अनुशीलन भाग-१ २५.०० निमित्तोपादान समयसार अनुशीलन भाग-२ समयसार अनुशीलन भाग-३ समयसार अनुशीलन भाग-४ समयसार अनुशीलन भाग-५ समयसार का सार प्रवचनसार का सार २०.०० २५.०० ३०.०० ३०.०० प्रवचनसार अनुशीलन भाग-१ ३०.०० पं. टोडरमल व्यक्तित्व और कर्तृत्व २०.०० परमभावप्रकाशक नयचक्र २०.०० चिन्तन की गहराइयाँ २०.०० शाश्वत तीर्थधाम सम्मेदशिखर महावीर और उनका सर्वोदय तीर्थ १५.०० बिन्दु में सिन्धु धर्म के दशलक्षण १६.०० बारह भावना एवं जिनेंद्र वंदना क्रमबद्धपर्याय १२.०० कुंदकुंदशतक पद्यानुवाद बिखरे मोती १६.०० शुद्धात्मशतक पद्यानुवाद सत्य की खोज १६.०० समयसार पद्यानुवाद अध्यात्मनवनीत १५.०० योगसार पद्यानुवाद छहढाला का सार १५.०० समयसार कलश पद्यानुवाद आप कुछ भी कहो १०.०० प्रवचनसार पद्यानुवाद आत्मा ही है शरण १५.०० द्रव्यसंग्रह पद्यानुवाद मुक्ति-सुधा १८.०० अष्टपाहुड़ पद्यानुवाद बारह भावना एक अनुशीलन १५.०० अर्चना जेबी दृष्टि का विषय १.०० १.२५ गागर में सागर १.०० ३.०० ३.०० १०.०० कुंदकुंदशतक (अर्थ सहित) ७.०० शुद्धात्मशतक (अर्थ सहित) पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव ८.०० बालबोध पाठमाला भाग-२ णमोकार महामंत्र एक अनु. १०.०० बालबोध पाठमाला भाग-३ रक्षाबन्धन और दीपावली ५.०० वीतराग विज्ञान पाठमाला भाग-१ ४.०० आ. कुंदकुंद और उनके पंचपरमागम ५.०० वीतराग-विज्ञान पाठमाला भाग- २४.०० वीतराग विज्ञान पाठमाला भाग-३ ४.०० युगपुरुष कानजीस्वामी ५.०० वीतराग - विज्ञान प्रशिक्षण निर्देशिका १२.०० तत्त्वज्ञान पाठमाला भाग-१ पश्चात्ताप तत्त्वज्ञान पाठमाला भाग- २ ७.०० ५.०० ४.०० ३.५० ३.०० अहिंसा: महावीर की दृष्टि में मैं स्वयं भगवान हूँ | रीति-नीति शाकाहार २.५० तीर्थंकर भगवान महावीर चैतन्य चमत्कार २.०० गोली का जवाब गाली से भी नहीं २.०० गोम्मटेश्वर बाहुबली २.०० वीतरागी व्यक्तित्व भगवान महावीर २.०० अनेकान्त और स्याद्वाद १.०० १.५० २.०० २.०० १.०० १.०० ३.०० ४.०० ३.०० २.५० ०.५० ३.०० ३.०० १.०० ३.००
SR No.008366
Book TitlePaschattap
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2007
Total Pages43
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size175 KB
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