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भेद-ज्ञान की ज्योति जलाकर, शुद्धातम में रमते हैं। क्षण-क्षण में अन्तर्मुख हो, सिद्धों से बातें करते हैं ।।५।।
राग-द्वेष सब तुमने त्यागे, वैर-विरोध हृदय से भागे । परमातम के हो अनुरागे, वैरी कर्म पलायन भागे ।। सत् सन्देश सुना भविजन को, करते बेड़ा पार,
कि तुमने छोड़ा सब घर बार ।।२।। होय दिगम्बर वन में विचरते, निश्चल होय ध्यान जब करते। निजपद के आनंद में झुलते, उपशम रस की धार बरसते ।। मुद्रा सौम्य निरख कर, मस्तक नमता बारम्बार,
कि तुमने छोड़ा सब घर बार ।।३।।
संत साधु बन के विचरूँ, वह घड़ी कब आयेगी। चल पडूं मैं मोक्ष पथ में, वह घड़ी कब आयेगी ।।टेक ।। हाथ में पीछी कमण्डलु, ध्यान आतम राम का। छोड़कर घरबार दीक्षा की घड़ी कब आयेगी ।।१।। आयेगा वैराग्य मुझको, इस दुःखी संसार से। त्याग दूंगा मोह ममता, वह घड़ी कब आयेगी ।।२।। पाँच समिति तीन गुप्ति, बाईस परिषह भी सहूँ। भावना बारह जु भाऊँ, वह घड़ी कब आयेगी ।।३।। बाह्य उपाधि त्याग कर, निज तत्त्व का चिंतन करूँ। निर्विकल्प होवे समाधि, वह घड़ी कब आयेगी ।।४ ।। भव-भ्रमण का नाश होवे, इस दुःखी संसार से। विचरूँ मैं निज आतमा में, वह घड़ी कब आयेगी ।।५।।
म्हारा परम दिगम्बर मुनिवर आया, सब मिल दर्शन कर लो,
हाँ, सब मिल दर्शन कर लो। बार-बार आना मुश्किल है, भाव भक्ति उर भर लो,
हाँ, भाव भक्ति उर भर लो।।टेक ।। हाथ कमंडलु काठ को, पीछी पंख मयूर । विषय-वास आरम्भ सब, परिग्रह से हैं दूर ।। श्री वीतराग-विज्ञानी का कोई, ज्ञान हिया विच धर लो, हाँ।।१।।
एक बार कर पात्र में, अन्तराय अघ टाल ।
अल्प-अशन लें हो खड़े, नीरस-सरस सम्हाल।। ऐसे मुनि महाव्रत धारी, तिनके चरण पकड़ लो, हाँ ।।२।।
चार गति दुःख से टरी, आत्मस्वरूप को ध्याय ।
पुण्य-पाप से दूर हो, ज्ञान गुफा में आय ।। 'सौभाग्य' तरण तारण मुनिवर के, तारण चरण पकड़ लो, हाँ।।३।।
धन्य मुनीश्वर आतम हित में छोड़ दिया परिवार,
कि तुमने छोड़ दिया परिवार । धन छोड़ा वैभव सब छोड़ा, समझा जगत असार,
कि तुमने छोड़ दिया संसार ।।टेक।। काया की ममता को टारी, करते सहन परीषह भारी। पंच महाव्रत के हो धारी, तीन रतन के हो भंडारी ।। आत्म स्वरूप में झुलते, करते निज आतम-उद्धार,
कि तुमने छोड़ा सब घर बार ।।१।। ३३०८000000000
जिनेन्द्र अर्चना
मैं परम दिगम्बर साधु के गुण गाऊँ गाऊँ रे। मैं शुध उपयोगी सन्तन को नित ध्याऊँ ध्याऊँ रे ।
मैं पंच महाव्रत धारी को शिर नाऊँ नाऊँ रे ।।टेक ।। जिनेन्द्र अर्चना 10000
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