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________________ | जैसी लग रही थी तथा उसे कुछ निर्देश भी दिए और सत्यभामा को लेकर उसी रत्नजड़ित बावड़ी के आस | पास खड़ा कर कहा कि तुम यहीं प्रतीक्षा करो मैं रुक्मणी को लेकर आता हूँ। ऐसा कहकर वे वहीं कहीं रि | झाड़ियों की ओट में खड़े हो गये। सत्यभामा की दृष्टि वापिका के तट पर खड़ी मूर्तिवत निश्चल और देवीतुल्य रूप लावण्य से युक्त रुक्मणी पर पड़ी, जो मणिमय आभूषणों को पहने एक हाथ से आम्र की लता पकड़ कर पंजों के बल खड़ी थी और बायें हाथ से अपनी अत्यन्त सुशोभित मोटी चोटी पकड़े थी। उरोजों के भार से वह कुछ-कुछ नीचे को झुक रही थी तथा ऊपर लगे फूलों पर उसके बड़े-बड़े नेत्र टिके हुए थे। देवी के समान रूपवती रुक्मणी को देखकर सत्यभामा ने समझा कि यह कोई महादेवी है, इसलिए उसने उसके सामने फूलों की अंजुली बिखेरकर तथा उसके चरणों में झुककर प्रणामकर अपने सौभाग्य और सौत के दुर्भाग्य की याचना की; क्योंकि वह ईर्ष्या से जली-भुनी जो थी। इसीसमय मन्द-मन्द मुस्कराते हुए श्रीकृष्ण ने आकर सत्यभामा से कहा कि 'अहा ! दो बहिनों का यह अपूर्व मिलन हो लिया।' श्रीकृष्ण के वचन सुनकर सत्यभामा सबकुछ समझ गई, सब रहस्य जान गई और कुपित होकर बोली कि 'अरे ! हम दोनों का इच्छानुरूप मिलन हुआ या नहीं इससे आपको क्या मतलब?' श्रीकृष्ण का कौतूहल और सत्यभामा का कुपित रूप देखकर रुक्मणी ने सत्यभामा को विनयपूर्वक नमस्कार किया। उच्चकुल में उत्पन्न हुए मनुष्य स्वभाव से ही विनम्र होते हैं। तदनन्तर श्रीकृष्ण दोनों रानियों के साथ सुशोभित उद्यान के लतामण्डप में क्रीड़ा कर महल में लौट गये। श्रीकृष्ण के दिन उन दोनों रानियों के साथ सुख से बीत रहे थे, तभी एक दिन हस्तिनापुर के राजा दुर्योधन ने प्रिय समाचारों के साथ श्रीकृष्ण के पास अपना दूत भेजा। समाचार यह था कि आपकी रुक्मणी और सत्यभामा रानियों में से जिसके पहले पुत्र उत्पन्न होगा और मेरे यहाँ यदि पुत्री उत्पन्न होगी तो आपका वह पुत्र मेरी पुत्री का पति होगा। दूत के वचन सुनकर श्रीकृष्ण बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने दूत का सम्मान कर विदा किया । दूत ने अपनी || || स्वामी को कार्यसिद्ध होने का समाचार कह सुनाया। FREE FOR FREE
SR No.008352
Book TitleHarivanshkatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size794 KB
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