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________________ १२५ ह रि वं सम्मानपूर्वक मधुर वचन बोलने में चतुर धाय ने प्रत्येक राजा के पास कन्या को ले जाकर परिचय कराते व हुए वरण करने के लिए अनुशंसित किया; किन्तु राजकन्या ने किसी के गले में वरमाला नहीं पहनाई । राजाओं की पंक्ति में बैठे सर्वप्रथम जरासन्ध की नाना प्रकार से महिमा मण्डित करते हुए वरने के लिए प्रेरित किया । | जब कन्या की रुचि नहीं देखी तो क्रमशः जरासंध के पुत्र के पास गई, फिर मथुरा के राजा उग्रसेन, उग्रसेन | के बाद शौरीपुर के स्वामी समुद्रविजय आदि से परिचय कराया। फिर स्वयंवर सभा में बैठे एक से बढ़कर औ एक - अनेक राजाओं से परिचय कराया और कहा कि स्वयंवर की सफलता की चिंता में तेरे माता-पिता की नींद हराम हो रही है, अतः तू शीघ्र निर्णय कर ! श क र था अ ग्र ज कन्या ने उत्तर में कहा - हे धाय माँ ! इन राजाओं में किसी पर भी मेरा मन अनुरक्त नहीं हो रहा है । देखते ही प्रथम दृष्टि में ही जिस पर आन्तरिक स्नेह उमड़ने लगता है, वर-कन्या - दोनों को संतोष होता | है उसे ही वरण किया जा सकता है। इन राजाओं पर मुझे न राग उमड़ता है और न द्वेष ही है । इनके प्रति | मेरे मन में मात्र उपेक्षा या अरुचि है, अतः मैं इनमें से किसी का भी वरण नहीं कर सकती । “वस्तुतः ये संबंध भी पूर्व संस्कारों के आधार पर निश्चित ही होते हैं, जिसका जिसके साथ सम्बन्ध होना होता है, उसे देखते ही अनुकूल भाव बन जाते हैं।" वह ऐसा कह ही रही थी कि उसके कानों में 'पवण' नामक वाद्ययंत्र की मधुरध्वनि सुनाई पड़ी। वह ध्वनि मानो स्पष्ट कह रही थी कि तुम्हारे मन का हरण करनेवाला राजहंस इधर बैठा है, अतः इस ओर देख ! | ज्यों ही कन्या रोहणी ने मुड़कर देखा तो कुमार वसुदेव दिखे। दोनों का चित्त एक दूसरे की ओर सहज आकर्षित हो गया और रोहणी ने वसुदेव के गले में वरमाला पहनाकर उसका वरण कर लिया । अधिकांश नीतिज्ञ राजाओं ने तो स्वेच्छा से रोहणी के चयन की हार्दिक अनुमोदना की, किन्तु कुछ ईष्यालु मात्सर्ययुक्त राजाओं ने अपना अपमान अनुभव करते हुए उल्टे-सीधे कुतर्क प्रस्तुत करके विरोध प्रगट | किया और स्वयंवर को निरस्त करने की माँग की। स 19 hr do 15 मु द्र वि य का न ११
SR No.008352
Book TitleHarivanshkatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size794 KB
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