SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गोम्मटेश्वर बाहुबली (एक नया चिन्तन) प्रकाशकीय भगवान बाहुबली के अंतर्बाह्य स्वरूप को प्रतिबिंबित करनेवाली श्रवणबेलगोला स्थित विशाल प्रतिमा विश्व को वीतरागता का संदेश दे रही है। ____ फरवरी १९८१ में उक्त प्रतिमा का सहस्राब्दी-महोत्सव सारे देश में अत्यन्त उत्साहपूर्वक मनाया गया । उक्त अवसर पर उक्त मूर्ति और मूर्तिमान के सम्बन्ध में बहुत कुछ लिखा गया था। इसी श्रृंखला में लोकप्रिय लेखकर एवं मौलिक चिन्तक डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल ने आत्मधर्म, मार्च १९८१ के सम्पादकीय लेख में भगवान बाहुबली की मूर्ति और उनके जीवन के सम्बन्ध में बिल्कुल अनूठा और नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया था, जिसे 'अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन' ने इस लघु पुस्तिका के रूप में प्रकाशित किया था। ___ इसके १०-१० हजार के चार संस्करण क्रमश: मार्च, अप्रैल और मई १९८१ तथा अगस्त १९९३ में प्रकाशित किये गये थे, जो शीघ्र ही समाप्त हो गये। इस निबन्ध के मराठी, कन्नड, तमिल व अंग्रेजी अनुवाद भी प्रकाशित हो चुके हैं। अबतक इसकी ५३ हजार प्रतियाँ हिन्दी में और ५ हजार अंग्रेजी, ५ हजार मराठी और ८ हजार कन्नड तथा हिन्दी, मराठी, तमिल आत्मधर्म में १० हजार - इसप्रकार कुल मिलाकर ८१ हजार प्रतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। फरवरी २००६ में होनेवाले महामस्तकाभिषेक को दृष्टिगत रखते हुए १३ हजार प्रतियों का पंचम संस्करण प्रकाशित किया जा रहा है। आप सभी इस कृति के माध्यम से अपना आत्मकल्याण कर मुक्ति पथ पर अग्रसर हों, इसी भावना के साथ - - ब्र. यशपाल जैन प्रकाशन मंत्री लेखक डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल शास्त्री, न्यायतीर्थ, साहित्यरत्न, एम.ए., पीएच. डी. प्रकाशक पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट ए-४, बापूनगर, जयपुर (राजस्थान) ३०२०१५ फोन : (०१४१) २७०७४५८,२७०५५८१, फैक्स : २७०४१२७ E-mail: [email protected]
SR No.008349
Book TitleGommateshwar Bahubali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages9
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size75 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy