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________________ परिणमन करने में पर की अपेक्षा नहीं है। छात्र - इन तीनों गुणों में अन्तर क्या हुआ ? अध्यापक - अस्तित्व गुण तो मात्र "है" यह बतलाता है, वस्तुत्व गुण "निरर्थक नहीं है" यह बताता है और द्रव्यत्व गुण "निरन्तर परिणमनशील है" यह बताता है। छात्र - प्रमेयत्व गुण किसे कहते हैं ? अध्यापक - जिस शक्ति के कारण द्रव्य किसी न किसी ज्ञान का विषय हो उसे प्रमेयत्व गुण कहते हैं। छात्र - बहुत-सी वस्तुएँ बहुत सूक्ष्म होती हैं, अतः वे समझ में नहीं आ सकती क्योंकि वे दिखाई ही नहीं देती हैं। जैसे हमारी आत्मा ही है, उसे कैसे जानें, वह तो दिखाई देती ही नहीं है। अध्यापक - भाई ! प्रत्येक द्रव्य में ऐसी शक्ति है कि वह अवश्य ही जाना जा सकता है, यह बात अलग है कि वह इन्द्रियज्ञान द्वारा पकड़ में न आवे। जिनका ज्ञान पूरा विकसित हुआ है उनके ज्ञान (केवलज्ञान) में सब कुछ आ जाता है और अन्य ज्ञानों में अपनी-अपनी योग्यतानुसार आता है। अत: जगत को कोई भी पदार्थ अज्ञात रहे ऐसा नहीं बन सकता है। छात्र - अगुरुलघुत्व गुण किसे कहते हैं। अध्यापक - जिस शक्ति के कारण द्रव्य में द्रव्यपना कायम रहता है, अर्थात् एक द्रव्य दूसरे द्रव्य रूप नहीं हो जाता, एक गुण दूसरे गुण रूप नहीं हो जाता, एक गुण दूसरे गुण रूप नहीं होता और द्रव्य में रहने वाले अनंत गुण बिखर कर अलग-अलग नहीं हो जाते, उसे अगुरुलुघत्व गुण कहते हैं। छात्र - और प्रदेशत्व.. अध्यापक - जिस शक्ति के कारणे द्रव्य का कोई न कोई आकार अवश्य रहता है उसको प्रदेशत्व गुण कहते हैं। छात्र - सामान्य गुण तो समझ गया पर विशेष गुण और समझाइये? अध्यापक - बताया था न कि जो सब द्रव्यों में न रहकर अपने अपने द्रव्यों में ही रहते हैं वे विशेष गुण हैं। जैसे जीव के ज्ञान, दर्शन, चारित्र सुख आदि। पुद्गल में स्पर्श, रस, गंध, वर्ण आदि। छात्र - द्रव्य, गुण, पर्याय के जानने से क्या लाभ है ? अध्यापक - हम तुम भी तो सब जीव द्रव्य हैं और द्रव्य गुणों का पिण्ड होता है, अत: हम भी गुणों के पिण्ड हैं। ऐसा ज्ञान होने पर "हम दीन गुणहीन हैं" - ऐसी भावना निकल जाती है तथा मेरे में अस्तित्व गुण है अत: मेरा कोई नाश नहीं कर सकता है, ऐसा ज्ञान होने पर अनंत निर्भयता आ जाती है। ज्ञान हमारा गुण है, उसका कभी नाश नहीं होता। अज्ञान और राग-द्वेष आदि स्वभाव से विपरीत (विकारी पर्याय) हैं, इसलिए आत्मा के आश्रय से उनका अभाव हो जाता है। प्रश्न - १. द्रव्य किसे कहते हैं? २. गुण किसे कहते हैं? वे कितने प्रकार के होते हैं ? ३, सामान्य गुण किसे कहते हैं ? वे कितने हैं ? प्रत्येक की परिभाषा लिखिए। ४. विशेष गुण किसे कहते हैं ? जीव और पुद्गल के विशेष गुण बताइए। ५. पर्याय किसे कहते हैं ?
SR No.008341
Book TitleBalbodh 1 2 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages43
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size144 KB
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