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सम्पूर्ण अवस्थाओं (पर्यायों) में रहता है, उसको गुण कहते हैं। जैसे ज्ञान आत्मा का गुण है, वह आत्मा के समस्त प्रदेशों में तथा निगोद से लेकर मोक्ष तक की समस्त हालतों में पाया जाता है।
छात्र - आत्मा में ऐसे कितने गुण हैं ?
अध्यापक - आत्मा में ज्ञान जैसे अनंत गुण हैं। आत्मा में ही क्या समस्त द्रव्यों में, प्रत्येक द्रव्य में अपने-अपने अलग-अलग अनंत गुण हैं।
छात्र - तो हमारी आत्मा अनंत गुणों का भण्डार है ?
अध्यापक - भण्डार क्या है ? ऐसा थोड़े ही है कि आत्मा अलग हो और गुण उसमें भरे हों, जो उसे गुणों का भण्डार कहें, वह तो गुणमय ही है, वह तो गुणों का अखण्ड पिण्ड है।
छात्र वे अनंत गुण कौन-कौन से हैं ?
अध्यापक- क्या बात करते हो, क्या अनंत भी गिनाये या बताए जा सकते हैं।
छात्र कुछ तो बताइये ?
अध्यापक गुण दो प्रकार के होते हैं, सामान्य और विशेष । जो गुण
सब द्रव्यों में रहते हैं, उनको सामान्य गुण कहते हैं और जो सब द्रव्यों में न रहकर अपने-अपने द्रव्य में हों, उन्हें विशेष गुण कहते हैं। जैसे अस्तित्व गुण सब द्रव्यों में पाया जाता है, अतः वह सामान्य गुण हुआ और ज्ञान गुण सिर्फ आत्मा में ही पाया जाता है, अतः जीव द्रव्य का विशेष गुण हुआ।
छात्र सामान्य गुण किसे कहते हैं ? अध्यापक - अनेक, पर उनमें छह मुख्य हैं अस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्व, अगुरुलघुत्व और प्रदेशत्व ।
जिस शक्ति के कारण द्रव्य का कभी भी अभाव (नाश) न हो उसे अस्तित्व गुण कहते हैं । प्रत्येक द्रव्य में अस्तित्व गुण है, अतः प्रत्येक द्रव्य की सत्ता स्वयं से है, उसे किसी ने बनाया नहीं है और न ही उसे कोई मिटा ही सकता है क्योंकि वह अनादि अनंत है।
इसी अस्तित्व गुण की अपेक्षा तो द्रव्य का लक्षण 'सत्' किया जाता है, "सत् द्रव्यलक्षणम्" और सत् का कभी विनाश नहीं होता तथा असत् का कभी उत्पाद नहीं होता । मात्र पर्याय पलटती है।
छात्र और वस्तुत्व.......
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अध्यापक - जिस शक्ति के कारण द्रव्य में अर्थ क्रिया (प्रयोजनभूत क्रिया) हो उसे वस्तुत्व गुण कहते हैं। वस्तुत्व गुण की मुख्यता से ही द्रव्य को वस्तु कहते हैं ।
कोई भी वस्तु लोक में पर के प्रयोजन की नहीं है, पर प्रत्येक वस्तु अपने-अपने प्रयोजन से युक्त है, क्योंकि उसमें वस्तुत्व गुण है। छात्र द्रव्यत्व गुण किसे कहते हैं ?
अध्यापक - जिस शक्ति के कारण द्रव्य की अवस्था निरन्तर बदलती रहे, उसे द्रव्यत्व गुण कहते हैं । द्रव्यत्व गुण की मुख्यता से वस्तु को द्रव्य कहते हैं। एक द्रव्य में परिवर्तन का कारण कोई दूसरा द्रव्य नहीं है क्योंकि उसमें द्रव्यत्व गुण है, अतः उसे