SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पाठ पहला | देव-स्तुति संकल्प - 'भगवान बनेंगे' सम्यग्दर्शन प्राप्त करेंगे। सप्तभयों से नहीं डरेंगे। सप्त तत्त्व का ज्ञान करेंगे। जीव-अजीव पहिचान करेंगे। स्व-पर भेदविज्ञान करेंगे। निजानन्द का पान करेंगे। पंच प्रभु का ध्यान धरेंगे। गुरुजन का सम्मान करेंगे।। जिनवाणी का श्रवण करेंगे। पठन करेंगे, मनन करेंगे। रात्रि भोजन नहीं करेंगे। बिना छना जल काम न लेंगे। निज स्वभाव को प्राप्त करेंगे। मोह भाव का नाश करेंगे। रागद्वेष का त्याग करेंगे। और अधिक क्या? बोलो बालक! भक्त नहीं, भगवान वीतराग सर्वज्ञ हितंकर, भविजन की अब पूरो आस । ज्ञान भानु का उदय करो, मम मिथ्यातम का होय विनास ।। जीवों की हम करुणा पालें, झूठ वचन नहीं कहें कदा। परधन कबहुँ न हरहूँ स्वामी, ब्रह्मचर्य व्रत रखें सदा ।। तृष्णा लोभ न बढ़े हमारा, तोष सुधा नित पिया करें। श्री जिनधर्म हमारा प्यारा, तिस की सेवा किया करें ।। दूर भगावें बुरी रीतियाँ, सुखद रीति का करें प्रचार। मेल-मिलाप बढ़ावें हम सब, धर्मोन्नति का करें प्रसार ।। सुख-दुख में हम समता धारें, रहें अचल जिमि सदा अटल। न्याय-मार्ग को लेश न त्यागें, वृद्धि करें निज आतमबल ।। अष्ट करम जो दुःख हेतु हैं, तिनके क्षय का करें उपाय। नाम आपका जपें निरन्तर, विघ्न शोक सब ही टल जाय ।। आतम शुद्ध हमारा होवे, पाप मैल नहिं चढ़े कदा। विद्या की हो उन्नति हम में, धर्म ज्ञान हूँ बढ़े सदा।। हाथ जोड़कर शीश नवावें, तुमको भविजन खड़े-खड़े। यह सब पूरो आस हमारी, चरण शरण में आन पड़े।।
SR No.008341
Book TitleBalbodh 1 2 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages43
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size144 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy