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ऐसे क्या पाप किए! प्रश्न :- स्वभाव सादि-सान्त है या अनादि-अनन्त?
उत्तर :- स्वभाव अनादि-अनन्त है, क्योंकि स्वभाव का कभी अभाव नहीं होता, बदलता नहीं है, सदा एक रूप रहता है।
प्रश्न :- स्वभाव पाँच भावों में कौनसा भाव है? उत्तर :- स्वभाव पारिणामिकभाव है, निर्विकारी है। प्रश्न :- स्वभाव सात तत्त्वों में कौन सा तत्त्व है?
उत्तर :- स्वभाव जीवतत्त्व है, अर्थात् यह द्रव्यकर्म, भावकर्म व नोकर्म से भिन्न त्रिकाल शुद्ध, ज्ञानानंदमय, ध्रुवस्वभावी है। अतः यही एकमात्र सदा ध्यान करने योग्य है।
(४) अब ‘स्वभाव के साधन' नामक बोल पर सुखदायक, दुःखदायक आदि पाँच बोलों को घटित करते हैं।
प्रश्न :- स्वभाव के साधन सुखदायक हैं या दुःखदायक?
उत्तर :- सुखदायक, क्योंकि साधन सदा साध्य के अनुरूप ही होते हैं। जब स्वभाव सुखदायक है तो उसके साधन भी सुखदायक ही होंगे। दुःखदायक साधनों से सुखदायक साध्य की सिद्धि संभव नहीं है। स्वभाव के साधन संवर-निर्जरा तत्त्व हैं, जो प्रगट सुखदायक ही हैं।
प्रश्न :- स्वभाव के साधन हेय हैं या उपादेय?
उत्तर :- एकदेश उपादेय, क्योंकि जबतक स्वभाव की सिद्धि नहीं हो जाती, तब तक साधन उपादेय रहते हैं। अतः इन्हें एकदेश या आंशिक रूप से उपादेय कहा जाता है। अन्ततोगत्वा स्वभाव की सिद्धि होने पर ये साधन स्वयं साध्यरूप हो जाते हैं, इस कारण इन्हें हेय नहीं कहा जा सकता। संवर-निर्जरा तत्त्व तो धर्मरूप परिणाम हैं।
प्रश्न :- ये स्वभाव के साधन सादि-सान्त हैं या अनादि-अनंत?
उत्तर :- सादि-सान्त हैं, क्योंकि मिथ्यात्व दशा में नहीं थे और सिद्धदशा में भी नहीं रहेंगे। ये तो हमारे आगंतुक मेहमान हैं।
आध्यात्मिक पंच सकार : सुखी होने का सूत्र
प्रश्न :- स्वभाव के साधन पाँच भावों में कौन से भाव हैं? उत्तर :- उपशम, क्षय, क्षयोपशमरूप तीनों भाव हो सकते हैं। प्रश्न :- ये स्वभाव के साधन सात तत्त्वों में कौन से तत्त्व हैं? उत्तर :- संवर-निर्जरा तत्त्व हैं।
(५) अब सिद्धत्व पर सुखदायक-दुःखदायक आदि पाँचों को घटित करते हैं।
प्रश्न :- सिद्धत्व सुखदायक है या दुःखदायक?
उत्तर :- सुखदायक, क्योंकि यह अष्टकर्म रहित आत्मा की पूर्ण निर्मल दशा है।
प्रश्न :- सिद्धत्व हेय है या उपादेय? उत्तर :- उपादेय, क्योंकि यह सुखदायक है। प्रश्न :- सिद्धत्वभाव सादि-सान्त है या सादि-अनंत ।
उत्तर :- सादि-अनंत, क्योंकि प्रगट होने पर अनन्तकाल तक मलिनरूप परिणमन नहीं करते । एकरूप निर्मल ही रहते हैं। इस अपेक्षा सादि-अनन्त कहा जाता है।
प्रश्न :- यह पाँचों भावों में कौनसा भाव हैं? उत्तर :- क्षायिकभाव। प्रश्न :- सात तत्त्वों में कौनसा तत्त्व हैं? उत्तर :- मोक्ष तत्त्व।
अभी तक संयोगादि पाँच बोलों में क्रम से सुखदायक आदि पाँच बोलों को घटित किया। इसीप्रकार सुखदायक आदि बोलों में संयोगादि के बोल भी घटित किये जा सकते हैं, जैसे कि :१. सुखदायक-दुःखदायक बोले में -
१. परद्रव्य होने से संयोग न सुखदायक है, न दुःखदायक। २. संयोगीभाव विकारीभाव होने से दुःखदायक है। ३. स्वभाव सर्वथा सुखदायक है। ४. स्वभाव के साधन एकदेश सुखदायक हैं। ५. सिद्धत्व सर्वदेश (पूर्ण) सुखदायक है।
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