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________________ १५२ अनुक्रमणिका १५७ १५८ १५९ आध्यात्मिक भजन संग्रह अंतरंग बाह्य संग, त्यागि आत्मरंग पागि। शीलमाल अति विशाल, पहिर शोभनाई ।।५।। यह वृष-सोपान-राज, मोक्षधाम चढ़न काज। शिवसुख निजगुनसमाज, केवली बताई ।।६।। ५५. षोडशकारन सुहृदय (प्रभाती) षोडशकारन सुहृदय, धारन कर भाई! जिनतें जगतारन जिन, होय विश्वराई ।।टेक ।। निर्मल श्रद्धान ठान, शंकादिक मल जघान । देवादिक विनय सरल-भावतें कराई ।।१।। शील निरतिचार धार, मारको सदैव मार । अंतरंग पूर्ण ज्ञान, रागको विंधाई ।।२।। यथाशक्ति द्वादश तप, तपो शुद्ध मानस कर । आर्त रौद्र ध्यान त्यागि, धर्म शुक्ल ध्याई ।।३।। जथाशक्ति वैयावृत्त, धार अष्टमान टार । भक्ति श्रीजिनेन्द्र की, सदैव चित्त लाई ।।४ ।। आरज आचारज के, वंदि पाद-वारिजकों। भक्ति उपाध्याय की, निधाय सौख्यदाई ।।५।। प्रवचन की भक्ति जतनसेति बुद्धि धरो नित्य । आवश्यक क्रिया में न, हानि कर कदाई ।।६।। धर्म की प्रभावना सु, शर्मकर बढ़ावना सु । जिनप्रणीत सूत्रमाहिं, प्रीति कर अघाई ।।७ ।। ऐसे जो भावत चित, कलुषता बहावत तसु । चरनकमल ध्यावत बुध, ‘भागचन्द' गाई ।।८ ।। ६. श्री सौभाग्यमलजी कृत भजन १५३-१७१ • भावों में सरलता..... • निरखी निरखी मनहर मूरत १५४ मैं हूँ आतमराम १५५ • मन महल में दो दो भाव जगे. तोरी पल पल निरखें मूरतियाँ १५६ • मत बिसरावो जिनजी.तेरी शीतल-शीतल मूरत लख तेरे दर्शन से मेरा दिल खिल गया स्वामी तेरा मुखड़ा है मन को लुभाना तेरी शांति छवि पे मैं बलि बलि जाऊँ जहाँ रागद्वेष से रहित निराकुल तेरे दर्शन को मन दौड़ा. लहरायेगा-लहरायेगा झंडा महावीर का १६० लिया प्रभू अवतार, जय जय कार जय जय कार • काहे पाप करे काहे छल • ध्यान धर ले प्रभू को ध्यान धर ले १६२ . जो आज दिन है वो, कल ना रहेगा, कल ना रहेगा संसार महा अघसागर में कहा मानले ओ मेरे भैया • आज सी सुहानी सु घड़ी इतनी १६४ धोली हो गई रे काली कामली माथा की थारी पर्वराज पर्युषण आया दस धर्मों की ले माला नित उठ ध्याऊँ, गुण गाऊँ, परम दिगम्बर साधु १६६ परम दिगम्बर यती, महागुण व्रती, करो निस्तारा • पल पल बीते उमरिया रूप जवानी जाती. • त्रिशला के नन्द तुम्हें वंदना हमारी १६८ धन्य धन्य आज घड़ी कैसी सुखकार है तोड़ विषियों से मन जोड़ प्रभु से लगन १६९ प्रभु दर्शन कर जीवन की, भीड़ भगी मेरे कर्मन की • भाया थारी बावली जवानी चाली रे १७० • तेरी सुन्दर मूरत देख प्रभो Antanjidain Bhajan Book pants (७७) १७१
SR No.008336
Book TitleAdhyatmik Bhajan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size392 KB
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