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________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates नहीं रुचता। मिथ्यात्वी जीव को स्व-पर विवेक नहीं होता अर्थात् उसको स्वानुभूतिपूर्वक विपरीत अभिनिवेश रहित तत्त्वार्थ श्रद्धान नहीं होता तथा उसको देव-शास्त्र-गुरु की यथार्थ श्रद्धा नहीं होती। मिथ्यादर्शन के दो भेद हैं - अगृहीत और गृहीत। एकेन्द्रियादि सभी संसारी जीवों के प्रवाह रूप से जो अज्ञानभावमयमिथ्या मान्यता चली आ रही हैं, जिससे जीव की देहादि जड़ पदार्थो में और उनको निमित्त कर हुए रागादि भावों में एकत्वबुद्धि बनी रहती हैं, वह अगृहीत मिथ्यादर्शन हैं। इसके सद्भाव में जीवादि पदार्थो के यथार्थ स्वरूप को न जानने वाले जीवों द्वारा कल्पित जो अन्यथा मान्यता नयी अंगीकार की जाती हैं, उसे गृहीत मिथ्यादर्शन कहते हैं। (२) सासादन सम्यग्दर्शन की विराधना को आसादन कहते हैं तथा उसके साथ जो भाव होता हैं उसको सासादन कहते हैं। जिस प्रौपशमिक सम्यग्दृष्टि जीव ने अनंतानुबंधी कषाय के उदयवश प्रौपशमिक सम्यग्दर्शन के काल में कम से कम एक समय और अधिक से अधिक छह प्रावलिकाल शेष रहने पर सम्यग्दर्शनरूपी रत्नपर्वत के शिखर से च्युत होकर मिथ्यादर्शन रूपी भूमि के सन्मुख होते हुए सम्यग्दर्शन का तो नाश कर दिया हैं, किन्तु मिथ्यादर्शन को प्राप्त नहीं हुआ हैं, उस जीव की उस अवस्था को सासादन गुणस्थान कहते हैं। इस गुणस्थान का पूरा नाम सासादन सम्यक्त्व हैं। सासादन पद के साथ सम्यक्त्व पद का प्रयोग भूतपूर्व न्याय की अपेक्षा हुअा हैं। इसका काल अन्तर्मुहूर्तमात्र हैं। (३) मिश्र जिस गुणस्थान में जीव के सम्यग्मिथ्यात्व प्रकृति के उदयवश समीचीन और मिथ्या उभयरूप श्रद्धा युगपत् होती हैं, उसकी उस श्रद्धा को मिश्र गुणस्थान कहते हैं। जिस प्रकार दही और गुड़ के मिलाने पर उनका मिला हुआ परिणाम ( स्वाद) युगपत् अनुभव में आता हैं, उसी प्रकार ऐसी श्रद्धा वाले जीव के समीचीन और मिथ्या उभयरूप श्रद्धा होती हैं। यहाँ अनंतानुबंधी कषाय का उदय नहीं हैं। इस गुणस्थान का काल भी अन्तर्मुहूर्त हैं । ४८ Please inform us of any errors on [email protected]
SR No.008320
Book TitleTattvagyan Pathmala 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages76
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Education, Spiritual, & Philosophy
File Size394 KB
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