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________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पाठ ९ भावना बत्तीसी आचार्य अमितगति ( व्यक्तित्व और कर्तृत्व) विक्रम की ग्यारहवीं शती के प्रसिद्ध आचार्य अमितगति को वाक्पतिराज मुंज की राजसभा में सन्मान की दृष्टि से देखा जाता था। राजा मुंज उज्जैनी के राजा थे। वे स्वयं बड़े विद्वान व कवि थे। आचार्य अमितगति बहुश्रुत विद्वान व विविध विषयों के गंथ्र-निर्माता थे। उनके द्वारा रचित सभी ग्रंथ संस्कृत भाषा में हैं। उन्होंने अपना प्रसिद्ध ग्रंथ 'सुभाषित रत्नसंदोह' वि. सं. १०५० में तथा 'धर्मपरीक्षा' वि. सं. १०७० में समाप्त किया था। उनके ग्रंथो की विषयवस्तु और भाषा-शैली सरल, सुबोध व रोचक है। इनकी निम्न रचनायें उपलब्ध हैं- सुभाषित रत्नसंदोह, धर्मपरीक्षा, भावना-द्वात्रिंशतिका, पंचसंग्रह, उपासकाचार, आराधना, भी इनकी रचनाएँ हैं। ‘सुभाषित रत्नसंदोह' एक सुभाषित ग्रंथ है। इसमें ३२ प्रकरण व ९२२ छंद हैं। सुभाषित नीति साहित्य में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान है। सुभाषित प्रेमियों को इनका अध्ययन अवश्य करना चाहिए। 'धर्म परीक्षा' संस्कृत साहित्य में अपने ढंग का एक निराला ग्रन्थ है। इसमें पुराणों की ऊँटपटांग कथानों और मान्यताओं को मनोरंजक रूपे में प्रस्तुत करके अविश्वसनीय ठहराया गया है। यह १९४५ छंदों का ग्रंथ है। तत्त्वप्रेमियों को इसका अध्ययन अवश्य करना चाहिए। प्रस्तुत पाठ आपकी भावना-द्वात्रिंशतिका' का हिन्दी पद्यानुवाद है जो कि श्री युगलकिशोरजी 'युगल', कोटा ने किया है। १ जैन साहित्य और इतिहास : नाथूराम प्रेमी पृष्ठ २७५ ६३ Please inform us of any errors on [email protected]
SR No.008318
Book TitleTattvagyan Pathmala 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1989
Total Pages69
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Education, Spiritual, & Philosophy
File Size383 KB
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