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समयसार
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(शार्दूलविक्रीडित) सर्वद्रव्यमयं प्रपद्य पुरुष दुर्वासनावासितः स्वद्रव्यभ्रमतः पशुः किल परद्रव्येषु विश्राम्यति। स्याद्वादी तु समस्तवस्तुषु परद्रव्यात्मना नास्तितां जानन्निर्मलशुद्धबोधमहिमा स्वद्रव्यमेवाश्रयेत्।। २५३ ।।
प्रत्यक्ष "आलिखित ऐसे प्रगट ( –स्थूल) और स्थिर (-निश्चल) परद्रव्योंके अस्तित्वसे ठगाया हुआ, [ स्वद्रव्यअनवलोकनेन परितः शून्यः ] स्वद्रव्यको (स्वद्रव्यके अस्तित्वको) नहीं देखता होनेसे सम्पूर्णतया शून्य होता हुआ [ नश्यति ] नाशको प्राप्त होता है; [ स्याद्वादी तु] और स्याद्वादी तो, [ स्वद्रव्य-अस्तितया निपुणं निरूप्य ] आत्माको स्वद्रव्यरूपसे अस्तिपने निपुणतया देखता है इसलिये, [ सद्यः समुन्मज्जता विशुद्धबोध-महसा पूर्ण: भवन् ] तत्काल प्रगट विशुद्ध ज्ञानप्रकाशके द्वारा पूर्ण होता हुआ [ जीवति ] जीता है-नाशको प्राप्त नहीं होता।
भावार्थ:-एकांती बाह्य परद्रव्यको प्रत्यक्ष देखकर उसके अस्तित्वको मानता है, परंतु अपने आत्मद्रव्यको इंद्रियप्रत्यक्ष नहीं देखता इसलिये उसे शून्य मानकर आत्माका नाश करता है। स्याद्वादी तो ज्ञानरूपी तेजसे अपने आत्माका स्वद्रव्यसे अस्तित्व अवलोकन करता है इसलिये जीता है-अपना नाश नहीं करता।
इसप्रकार स्वद्रव्य-अपेक्षासे अस्तित्वका ( –सत्पनेका) भंग कहा है। २५२।
( अब छठे भंगका कलशरूप काव्य कहते हैं:-)
श्लोकार्थ:- [पशुः ] पशु अर्थात् सर्वथा एकांतवादी अज्ञानी, [ दुर्वासनावासितः ] दुर्वासनासे (कुनयकी वासनासे) वासित होता हुआ, [ पुरुषं सर्वद्रव्यमयं प्रपद्य ] आत्माको सर्वद्रव्यमय मानकर, [ स्वद्रव्य-भ्रमतः परद्रव्येषु किल विश्राम्यति] (परद्रव्योंमें) स्वद्रव्यके भ्रमसे परद्रव्योंमें विश्रान्त करता है; [ स्याद्वादी तु] और स्याद्वादी तो, [ समस्तवस्तुषु परद्रव्यात्मना नास्तितां जानन्] समस्त वस्तुओंमें परद्रव्यस्वरूपसे नास्तित्वको जानता हुआ, [ निर्मल-शुद्ध-बोध-महिमा] जिसकी शुद्धज्ञानमहिमा निर्मल है ऐसा वर्तता हुआ, [ स्वद्रव्यम् एव आश्रयेत् ] स्वद्रव्यका ही आश्रय करता है।
भावार्थ:-एकांतवादी आत्माको सर्वद्रव्यमय मानकर, आत्मामें जो परद्रव्यकी अपेक्षासे नास्तित्व है उसका लोप करता है; और स्याद्वादी तो सर्व पदार्थों में परद्रव्य की अपेक्षासे नास्तित्व मानकर निज द्रव्यमें रमता है।
इसप्रकार परद्रव्य-अपेक्षासे नास्तित्वका (-असत्पनेका) भंग कहा है। २५३ ।
* आलिखित = आलेखन किया हुआ; चित्रित, स्पर्शित; ज्ञात।
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