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________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates समयसार ४९६ यथा सेटिका तु न परस्य सेटिका सेटिका च सा भवति। तथा संयतस्तु न परस्य संयतः संयतः स तु।। ३५८ ।। यथा सेटिका तु न परस्स सेटिका सेटिका च सा भवति। तथा दर्शनं तु न परस्य दर्शनं दर्शनं तत्तु।। ३५९ ।। एवं तु निश्चयनयस्य भाषितं ज्ञायदर्शनचरित्रे। शृणु व्यवहारनयस्य च वक्तव्यं तस्य समासेन।।३६० ।। यथा परद्रव्यं सेटयति सेटिकात्मनः स्वभावेन। तथा परद्रव्यं जानाति ज्ञातापि स्वकेन भावेन।। ३६१ ।। यथा परद्रव्यं सेटयति सेटिकात्मनः स्वभावेन। तथा परद्रव्यं पश्यति जीवोऽपि स्वकेन भावेन।। ३६२ ।। यथा परद्रव्यं सेटयति सेटिकात्मनः स्वभावेन। तथा परद्रव्यं विजहाति ज्ञातापि स्वकेन भावेन।। ३६३ ।। [ यथा] जैसे [ सेटिका तु] कलई [परस्य न] परकी (-दीवाल आदिकी) नहीं है, [ सेटिका] कलई [ सा च सेटिका भवति] वह तो कलई ही है, [ तथा ] उसीप्रकार [ संयतः तु] संयत (त्याग करनेवाला , आत्मा) [ परस्य न] परका (परद्रव्यका) नहीं है, [ संयतः] संयत [ सः तु संयतः ] यह तो संयत ही है। [ यथा] जैसे [ सेटिका तु] कलई [ परस्य न] परकी नहीं है, [ सेटिका ] कलई [ सा च सेटिका भवति] वह तो कलई ही है, [ तथा] उसीप्रकार [ दर्शनं तु] दर्शन अर्थात् श्रद्धान [ परस्य न] परका नहीं है, [ दर्शनं तत् तु दर्शनम् ] दर्शन वह तो दर्शन ही है अर्थात् श्रद्धान वह तो श्रद्धान ही है। [एवं तु] इसप्रकार [ ज्ञानदर्शनचरित्रे ] ज्ञान-दर्शन-चारित्रमें [निश्चयनयस्य भाषितम् ] निश्चयनयका कथन है। [ तस्य च ] और उस सम्बन्धमें [ समासेन ] संक्षेपसे [ व्यवहारनयस्य वक्तव्यं ] व्यवहारनयका कथन [ शृणु ] सुनो। [ यथा] जैसे [ सेटिका] कलई [आत्मनः स्वभावेन] अपने स्वभावसे [ परद्रव्यं ] (दीवाल आदि) परद्रव्यको [ सेटियति] सफेद करती है, [तथा] उसीप्रकार [ज्ञाता अपि] ज्ञाता भी [ स्वकेन् भावेन ] अपने स्वभावसे [परद्रव्यं] परद्रव्यको [जानाति] जानता है। [यथा] जैसे [ सेटिका] कलई [आत्मनः स्वभावेन ] अपने स्वभावसे [ परद्रव्यं ] परद्रव्यको [ सेटयति ] सफेद करती है, [ तथा ] उसीप्रकार [ जीव: अपि] जीव भी [ स्वकेन भावेन ] अपने स्वभावसे [ परद्रव्यं ] परद्रव्यको [ पश्यति] देखता है। [ यथा] जैसे [ सेटिका कलई [आत्मनः स्वभावेन] अपने स्वभावसे [ परद्रव्यं ] परद्रव्यको [ सेटयति] सफेद करती है, [ तथा ] उसीप्रकार [ ज्ञाता अपि] ज्ञाता भी [ स्वकेन भावेन ] अपने स्वभावसे [ परद्रव्यं] परद्रव्यको [ विजहाति ] त्यागता है। Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com
SR No.008303
Book TitleSamaysara
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorParmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Spiritual
File Size3 MB
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