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________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पूजा विधानों का विशेष संयोजन तीनों अष्टान्हिका पर्व, दशलक्षण पर्व एवम् अन्य विशेष प्रसंगो पर प्रतिवर्ष श्री तीन लोक मंडल विधान, तत्वार्थ सूत्र विधान, इन्द्रध्वज विधान आदि अनेक पूजा विधानों का विशेष आयोजन मुमुक्षु बंधुओं को उनके धर्माराधन में प्रेरणा एवम् बल प्रदान कर धर्म प्रभावना का प्र सिद्ध हुआ है। ऐसे मांगलिक प्रसंगों पर जैन दर्शन के प्रखर तत्वाभ्यासी आध्यात्मिक उच्च कोटी के विद्वानों का अनुपम लाभ भी समाज को सहज प्राप्त होता है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से विशेष रूचि जागृत करने हेतु समय समय पर उच्च स्तरीय संगीत विशेषज्ञों द्वारा संचालित आरकेस्टा पार्टियों को भी आमंत्रित किया जाता है ताकि विशेष धर्म प्रभावना हो सके। शिक्षण शिविर के आयोजन द्वारा धर्म पिपासु सभी उम्र के व्यक्तियों को वीतराग जैन सिद्धान्तों का ज्ञान वर्धन चिंतन आदि का सहज अवसर सुलभ कराने की ट्रस्ट की भावना को साकार रूप दिया जाता है। अन्य विविध धार्मिक गतिविधियाँ १) भारतवर्ष में जयपुर, उज्जैन, देवलाली, सोनागिरजी सम्मेदशिखरजी आदि विभिन्न स्थानों पर प्रतिवर्ष आयोजित शिक्षण प्रशिक्षण आध्यात्मिक शिविरों में ट्रस्ट विशेष आर्थिक अनुदान देकर देशव्यापी धर्म प्रभावना के पुनीत कार्य को बल प्रदान करता रहा है। २) दि. जैन समाज के उदीयमान प्रतिभाशाली छात्र छात्राओं के प्रोत्साहन हेतु पुरस्कार योजना भी ट्रस्ट की गतिविधियों का एक उल्लेखनीय अंग है। ३) “हिन्दी गद्य के विकास में जैन मनीषी श्री पं. सदासुखदासजी कासलीवाल का योगदान" विषय पर श्रीमती मुन्नी देवी जैन वाराणसी द्वारा डाक्टरेट उपाधि प्राप्ति के हर्षोपलक्ष्य में उन्हे ट्रस्ट द्वारा प्रोत्साहन स्वरूप २१,०००) रुपये की सम्मान राशि - प्रशस्ति पत्र, शाल व नारियल भेंट कर दिनांक १७ अगस्त १९८६ को सन्मानित किया गया। भविष्य में भी जैन धर्म सम्बंधी विशेष शोध निबंधो पर डाक्टरेट उपाधि प्राप्त करने वाले जैन विद्वानों को उचित प्रोत्साहन हेतु सन्मानित किए जाने की ट्रस्ट की योजना है। ४) आत्मार्थी ट्रस्टी बंधुओं के निवास हेतु कुंदकुंद निलय - आत्मार्थी निवास-विराग वाटिका ( सर्वोदय कालोनी अजमेर) भवन का निर्माण ट्रस्ट द्वारा किया गया है ताकि ट्रस्ट की धार्मिक गतिविधियों का सुविधापूर्ण संचालन सहज संभव हो सके। ५) — श्री कुंदकुद शोध संस्थान' स्थापना की भी ट्रस्ट की परिकल्पना है। श्री पं. सदासुखदास दि. जैन सिद्वान्त विद्यालय, जयपुर की स्थापना प्रसिद्ध आध्यात्मिक विद्वान श्री पं. सदासुखदास जी द्वारा जैन तत्वज्ञान के विश्वव्यापी प्रचार की मंगलमयी भावना को चिर जीवित रखने के पावन उद्देश्य से ट्रस्ट ने गत ४-५ वर्षों से श्री कुंदकुंद कहान दि. जैन तीर्थ सुरक्षा ट्रस्ट बम्बई के अर्न्तगत संचालित श्री टोडरमल दि. जैन सिद्धान्त महाविद्यालय जयपुर की उपशाखा के रूप में श्री पं. सदासुखदास दि. जैन सिद्धान्त विद्यालय जयपुर की स्थापना का महत्त्वपूर्ण रचनात्मक कदम उठाकर इस पवित्र श्रृखंला को स्थायी दिशा Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com
SR No.008300
Book TitleRatnakarandak Shravakachar
Original Sutra AuthorSamantbhadracharya
AuthorMannulal Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year2000
Total Pages527
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, & Religion
File Size6 MB
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