SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 36
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates जीव अधिकार अस्य तु नियमशब्दस्य निर्वाणकारणस्य विपरीतपरिहारार्थत्वेन सारमिति भणितं भवति। [आर्या] इति विपरीतविमुक्तं रत्नत्रयमनुत्तमं प्रपद्याहम्। अपुनभवभामिन्यां समुद्भवमनंगशं यामि।। १० ।। णियमं मोक्खउवायो तस्स फलं हवति परमणिव्वाणं। एदेसिं तिण्हं पि य पत्तेयपरूवणा होइ।। ४ ।। नियमो मोक्षोपायस्तस्य फलं भवति परमनिर्वाणम्। एतेषां त्रयाणामपि च प्रत्येकप्ररूपणा भवति।। ४ ।। यह ज्ञानदर्शनचारित्रस्वरूप नियम निर्वाणका कारण है। उस “नियम” शब्दको विपरीतके परिहार हेतु “ सार” शब्द जोड़ा गया है। [अब तीसरी गाथाकी टीका पूर्ण करते हुए श्लोक कहा जाता है :] [ श्लोकार्थ:---] इसप्रकार मैं विपरीत रहित (-विकल्परहित) अनुत्तम रत्नत्रयका आश्रय करके मुक्तिरूपी रमणीसे उत्पन्न अनङ्ग (-अशरीरी, अतीन्द्रिय, आत्मिक) सुखको प्राप्त करता हूँ। १०। गाथा ४ अन्वयार्थ:-[ नियमः ] ( रत्नत्रयरूप) नियम [ मोक्षोपायः ] मोक्षका उपाय है; [ तस्य फलं] उसका फल [ परमनिर्वाणं भवति] परम निर्वाण है। [ अपि च ] पुनश्च (भेदकथन द्वारा अभेद समझानेके हेतु) [ एतेषां त्रयाणां] इन तीनोंका [प्रत्येकप्ररूपणा] भेद करके भिन्न – भिन्न निरूपण [ भवति ] होता है। १ – कारण जैसा ही कार्य होता है; इसलिये स्वरूपमें स्थिरता करनेका अभ्यास ही वास्तवमें अनन्त काल तक स्वरूपमें स्थिर रह जानेका उपाय है। २ - विपरीत = विरुद्ध। [ व्यवहाररत्नत्रयरूप विकल्पोंको--पराश्रित भावोंको--छोड़कर मात्र निर्विकल्प ज्ञानदर्शनचारित्रका ही--शुद्धरत्नत्रयका ही--स्वीकार करने हेतु " नियम” के साथ “ सार” शब्द जोड़ा है ।] ३ – अनुत्तम = जिससे उत्तम कोई दूसरा नहीं है ऐसा; सर्वोत्तम; सर्वश्रेष्ठ। है नियम मोक्ष-उपाय उसका फल परम निर्वाण है। इन तीनका ही भेद पूर्वक भिन्न भिन्न विधान है ।।४।। Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com
SR No.008273
Book TitleNiyamsara
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorHimmatlal Jethalal Shah
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy