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गाथा
७५ १८२/
मोत्तूण अट्टरुदं मोत्तूण अणायारं मोत्तूण वयणरयणं मोत्तूण सयलजप्पममोत्तूण सल्लभावं
पृष्ठ १४३ ३५७ | २४८ १०४ ३७१
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५१
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१३९ |
७४ ५७ १३७
रयणत्तयसंजुत्ता रागेण व दोसेण व रायादीपरिहारे
ल लभ्रूणं णिहि एक्को लोयायासे ताव लोयालोयं जाणइ
गाथा
| पृष्ठ
१६५ | वावारविप्पमुक्का ८५ | १५८ | विजुदि केवलणाणं
१५४ विरदो सव्वसावज्जे
१७८ | विवरीयाभिणिवेसवि८७ १६३ | विवरीयाभिणिवेसं
स | १४२ | सण्णाणं चउभेयं
समयावलिभेदेण दु २६९ । सम्मत्तणाणचरणे
सम्मत्तस्स णिमित्तं १५७ | ३०७ | सम्मत्तं सण्णाणं
३६ ७१ | सम्मं मे सव्वभूदेसु १६९ ३३४ | सव्वविअप्पाभावे
सव्वे पुराणपुरिसा १४३ | २८१ | सव्वेसिं गंथाणं ४५ ९५ | संखेज्जासंखेजा११३ | २२५ | संजमणियमतवेण दु १५३ | ३०१ | सुहअसुहवयणरयणं १२२ | २४३ | सुहमा हवंति खंधा ५५ १०५
१२| २६ ३१ ६३ १३४ २६३
१०४ ५४ १०४ १०४ १९७ १३८ २७० १५८ ३०९ ६० ११४
७१
२४५ १२० | २३८ २४ | ५०
वट्टदि जो सो समणो वण्णरसगंधफासा वदसमिदिसीलसंजमवयणमयं पडिकमणं वयणोच्चारणकिरियं ववहारणयचरित्ते
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