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हमहू करिकै तहाँ प्रवेश , पायो तारन कारन देश । चिंतवन करी अर्थनको सार, जैसे कीन्हों बहुरि विचारि ।। संस्कृत संदृष्टिनिकौ ज्ञान, नहिं जिनके ते बाल समान । गमन करनको अति तरफरें ,बल बिनु नाहिं पदनिकौं धरैं ।। तिनि जीवनिकौं गमन उपाय, भाषा टीका दई बनाय । वाहन सम यहु सुगम उपाव ,या करि सफल करौ निज भाग।।
पंडितजी का सबसे बड़ा प्रदेय यह है कि उन्होंने संस्कृत, प्राकृतमें निबद्ध आध्यात्मिक तत्त्वज्ञान को भाषा-गद्यके माध्यमसे व्यक्त किया और तत्त्व-विवेचन में एक नई दृष्टि दी। यह नवीनता उनकी क्रान्तिकारी दृष्टिमें है। वे तत्त्वज्ञान को केवल परम्परागत मान्यता एवं शास्त्रीय प्रामाणिकताके संदर्भ में नहीं देखते। तत्त्वज्ञान उनके लिये एक सजीव-चिंतन प्रक्रिया है, जो केवल शास्त्रीय परम्परागत रूढ़ियोंका खण्डन नहीं करती, वरन् समकालीन प्रचलित रूढ़ियों का भी खण्डन करती है। उनकी मौलिकता यह है कि जिस तत्त्वज्ञान से लोग रूढ़िवादका समर्थन करते थे, उसी तत्त्वज्ञान से उन्होंने रूढ़िवादको निरस्त किया। उन्होंने समाज की नहीं, तत्त्वज्ञान की चिन्तन-रूढ़ियोंका खंडन किया। उनकी स्थापना है कि कोई भी तत्त्व चिन्तन तब तक मौलिक नहीं जब तक वह अपनी तर्क ओर अनुभूति पर सिद्ध न कर लिये गया हो। कुल और परम्परा से जो तत्त्वज्ञान को स्वीकार लेते हैं, वह भी सम्यक् नहीं हैं। उनके अनुसार धर्म परम्परा नहीं, स्वपरीक्षित साधना है।
वे मुख्य रूप से आध्यात्मिक चिन्तक हैं, परन्तु उनके चिन्तनमें तर्क और अनुभूतिका सुन्दर समन्वय है। वे विचार का ही नहीं, उनके प्रवर्तक और ग्रहण कर्ता की योग्यताअयोग्यता का भी तर्ककी कसौटी पर विचार करते हैं। तत्त्वज्ञान के अनुशीलन के लिये उन्होंने कुछ योग्यताएँ आवश्यक मानी हैं। उनके अनुसार मोक्षमार्ग कोई पृथक् नहीं , प्रत्युत आत्म-विज्ञान ही है, जिसे वे वीतराग-विज्ञान कहते हैं। जितनी चीजें इस वीतरागविज्ञानमें रुकावट डालती हैं, वे सब मिथ्या हैं। उन्होंने इन मिथ्याभावों के गृहीत और अगृहीत दो भेद किए हैं। गृहीत मिथ्यात्वसे उनका तात्पर्य उन विभिन्न धारणाओं और मान्यताओंसे है जिन्हे हम अध्यात्म से अनभिज्ञ गुरु आदि के संसर्ग से ग्रहण करते हैं और उन्हें ही वास्तविक मान लेते हैं - चाहे वे पर मत की हों या अपने मत की। इसके अंतर्गत उन्होंने उन सारी जैन मान्तयाओंका तार्किक विश्लेषण किया है जो छठी शती से लेकर अठारहवीं शती तक जैन तत्त्वज्ञान का अंग मानी जाती रहीं और जिनका विशुद्ध
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